पाकिस्तान के गिलगिट बाल्टिस्तान के राजनीतिक कार्यकर्त्ता ने इस्लामाबाद पर आतंक रोधी कानून के अनुसूची-iv का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया है। इसके तहत क्षेत्र के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है।
फ्रेंड्स ऑफ़ गिलगिट बाल्टिस्तान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गिलगिट बाल्टिस्तान थिंकर्स फोरम के रिटायर्ड कर्नल वजाहत हसन मिर्जा ने ANI से कहा कि “दुर्भाग्यवश सबसे महत्वपूर्ण चीज अनुसूची iv अंत है, क्योंकि इसके तहत क्षेत्र के प्रगतिशील और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जाता है। एक विवादित क्षेत्र पर ऐसा प्रभाव सरासर गैर कानूनी है।”
आवाज़ उठाने से कतराते हैं लोग
उन्होंने कहा कि “अनुसूची iv के कारण ही जनता अपनी आवाज़ उठाने से घबराती है, इसके तहत स्थानीय जनता पर राजनीतिक एकजुटता में शरीक होने पर पाबंदी लगा रखी है। क्षेत्र से जाने के लिए भी उन्हें पुलिस के प्रमुख की इजाजत लेनी होती है। उनके बैंक खातों को जब्त कर लिया गया है और उनकी संपत्ति पर अधिग्रहण कर लिया जाता है। तो आप समझ सकते हैं कि उस क्षेत्र के लोगों के लिए अपने आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना कितना मुश्किल होता होगा।”
क्षेत्र का राजनीतिक स्टेटस नहीं
उन्होंने कहा कि “साल 1949 से गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान की हुकूमत है इसके बावजूद साल 2009 के मसौदे तक पाकिस्तान ने क्षेत्रीय प्रनिधित्व नहीं दिया था। इस सबके आलावा गिलगिट-बाल्टिस्तान का क्षेत्रीय संसाधनों पर कोई अधिकार नहीं है। 2018 में स्थानीय लोगों ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन किये थे। चीनी दबाव और कश्मीर पर अपने रुख को स्पष्ट करने के कारण इस्लामाबाद स्थानीय जनता के कष्टों को बताने में विफल हो गया था।”
गिलगिट-बाल्टिस्तान सुधार आदेश, 2018 अस्पष्टता को दर्शाता है और इस्लामाबाद ने क्षेत्र में निरंकुश शासन को बंद करने से इंकार कर दिया था। गिलगिट-बाल्टिस्तान अपने राजनीतिक स्टेटस के लिए चुनौतियों का सामना कर रहा है। पीओके की तरह गिलगिट-बाल्टिस्तान को समान अधिकार नहीं मिले हैं जबकि संविधान में इसका जिक्र है।”
उन्होंने कहा कि “जनता की मांग है कि इस क्षेत्र का एक अलग प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और कानून निर्माता हो, जब तक यह मसला सुलझ नहीं जाता है।”