एक ओर जहां महंगे तेल और उसके ऊपर से गिरते रुपये के कारण भारत के घरेलू बाज़ार एवं शेयर बाजार में घमासान मचा हुआ है, ऐसे में विश्व बैंक का ये हैरान कर देने वाला बयान आया है।
विश्व बैंक के एक उच्च अधिकारी मार्टिन रामा ने बयान दिया है कि “भारतीय मुद्रा में आई गिरावट देश को वैश्विक स्तर पर मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में खड़ा करेगी, इसी के साथ पूंजी बाज़ार पर लगातार बन रहा दबाव भी कम होगा।”
आपको बताते चलें कि रुपये ने आज गुरुवार को एक बार फिर से अपनी कीमत का नया न्यूनतम रिकॉर्ड बनाया है। डॉलर के मुक़ाबले रुपया फिलहाल 74.45 रुपये प्रति डॉलर पर है।
वहीं दूसरी ओर रामा का कहना है कि “हम सोंचते हैं कि रुपये की कीमत में लगातार हो रही गिरावट एक तरह के प्रतिस्पर्धा के माहौल को जन्म देगा, इसी के साथ पूंजी बाज़ार पर लगातार बन रहे दबाव में भी कमी आएगी।” इसके आगे उन्होने कहा है कि “रुपये को लेकर सुधार की कोशिशें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।”
हाल ही में प्रकाशित हुई वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 2018-2018 के वित्तीय वर्ष में 7.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगा, वहीं अगले दो सालों में यही दर बढ़ कर 7.5 प्रतिशत हो जाएगी।
रामा के अनुसार देश में जीएसटी के आने और बैंकों के पुनर्पुंजिकरण के चलते भारत अपनी आर्थिक विकास को लेकर गति पकड़ता हुआ नज़र आयेगा। हालाँकि रामा ने इस बात का जिक्र भी किया कि दो वर्ष पहले हुई नोटेबन्दी से भारत की आर्थिक प्रगति पर कुछ देर के लिए असर पड़ा था।
रामा के अनुसार “कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी, कमज़ोर होता रुपया देश में मौद्रिक नीति को ढंग से लागू करने के कारण बन सकते हैं। दक्षिण एशियाई देशों को ये समझना होगा कि इस मंदी के साथ ही उनके लिए अनेकों मौके खुल सकते हैं।”