भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है, और कल यह 72 के आंकड़े के पार पहुँच गया था। ऐसे में सरकार नें तुरंत इस मामले में बैठक बुलाई और रुपए को संभालने के लिए जरूरी कदम उठाये।
कल शुक्रवार को सरकार नें रुपए को संभालने के लिए 5 उपाय बताये। इसके साथ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि चालु खाता खाते को भी कंट्रोल करने पर प्रयास किये जा रहे हैं।
इस बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली नें एक प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि फ़ालतू की चीजों का आयात कम किया जाए और निर्यात को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए।
जेटली नें इस बारे में कहा, “जरूरी फैसले लिए जायेंगे और जब वे लिए जायेंगे तब उनके बारे में लोगों को बताया जाएगा।”
सरकार नें कहा है कि वह कॉर्पोरेट बाजार में अधिक से अधिक निवेशकों को लाने पर प्रयास कर रही है और इस मामले में जरूरी कदम उठा रही है।
आपको बता दें कि कॉर्पोरेट बाजार में बाहरी निवेशकों के लिए एक नियम है कि वे अपनी कुल निवेश पूंजी में से 20 फीसदी से ज्यादा किसी एक चीज में निवेश नहीं कर सकते हैं। अब सरकार का मानना है कि वह इस नियम में कुछ बदलाव कर सकती है, जिससे निवेश बढ़ाया जा सके।
इसके अलावा इस नियम में भी बदलाव किये जा सकते हैं, जो कहता है कि बाहरी निवेशक किसी कॉर्पोरेट बांड में 50 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली नें ये सुचना दी।
सरकार नें इसके अलावा भारतीय कारोबारियों के लिए भी कई नियमों में बदलाव किये हैं। सरकार नें कहा है कि यदि कोई व्यक्ति बांड खरीदना चाहता है, तो उसपर 31 मार्च 2019 तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। ऐसे में इससे निवेश बढ़ने की संभावनाएं साफ़ नजर आ रही हैं।
इन बांड का एक बड़ा फायदा यह होता है कि रुपए के गिरने आदि से इनपर कोई असर नहीं पड़ता है।
एक अन्य उपाय को सरकार नें बताया है वह यह है कि जो कंपनियां पहले निर्माण आदि कार्य के लिए 5 करोड़ डॉलर तक का लोन लेती थी, उन्हें अब यह 1 साल के भीतर चुकाना होगा। पहले इसकी सीमा 3 साल थी।
सरकार नें ये फैसले कल आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के साथ बैठक के बाद लिए।
सुचना स्त्रोत: दा हिन्दू