भारत के इतिहास के पन्नो पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित चंद ही आपको ऐसे महान शख़्स मिलेंगे जिन्हे इतिहास और वर्त्तमान दोनों ही अपने-अपने हिसाब से उन्हें मौत के घाट उतारना चाहता है और उतारा भी है।
तारीख थी 30 जनवरी ,साल 2019, शहर था उत्तरप्रदेश का अलीगढ़, जब आज के आधुनिक राजनितीक बाज़ार ने फिर एक बार राष्ट्रीय विचार पर हमला बौल दिया।
इस बार हमला महात्मा गाँधी पर था। 30 जनवरी, गाँधी की पुण्यतिथि के दिन उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ में अखिल भारतीय महासभा द्वारा गाँधी के एक पुतले पर गोलियां बरसाई गयी। इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए हिन्दू महासभा के 2 कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया।
बीते बुधवार को गाँधी पर चलाई गई गोली की ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब हवा पकड़ने लगी, इस विडियो में संगठन की राष्ट्रीय सचिव पूजा शकुन पांडेय गांधी जी के पुतले को गोली मारते हुए नज़र आ रही थीं। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने नाथूराम गोडसे की तस्वीर को माला पहनते हुए मिठाई भी बांट दी।
दिलचस्प है की, गाँधी के गोडसे द्वारा हत्या करने और आज हिन्दू महासभा द्वारा गोली बरसाने में जमीन आसमान का फर्क है।
दरअसल 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने जब गाँधी की गोली मार कर हत्या कर दी थी, तब विश्व के महानतम वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने भी शोक प्रकट करते हुए कहा था की, आज एक युग का अंत हो गया। उन्होंने गाँधी की याद में कहा था की इन बातों का मेरे लिए गहरा मतलब है की गाँधी की प्रतिभा अविश्वसनिये है की उनके पास इंसान के भीतर और बाहर जोड़ने की भाषा है।
आज के विभिन्य राजनीतिक चिंतको और विश्लेषको का कहना है की दुनिया की सबसे क्रन्तिकारी मष्तिष्क के धनि महात्मा गाँधी द्वारा लिखी गयी ‘स्वराज भारत’ में गाँधी ने कहा था -‘ मेरी सफलता से तुम्हे फायदा होगा और तुम्हारी असफलता का असर मुझ पर भी होगा’, और अंततः धार्मिक विभाजनकारी राजनीती की असफलता का असर गाँधी के लोकतान्त्रिक भारत के सपने की सफलता पर हो ही गया। ….