बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना ने मंगलवार को कहा कि “महात्मा गाँधी की आम जनता के लिए मोहब्बत अहिंसा के विचारों ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के पाकिस्तान हुक्र्मनाओ के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष और शांतिपूर्ण आन्दोलन के विचारों को आकार दिया था।”
महात्मा गाँधी ने बंगबंधु के विचारों को दिया आकार
साल 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान की हुकूमत ने आज़ाद कर दिया था। पाकिस्तान के हुक्मरानों ने अमन पसंद बंगालियों के खिलाफ सफाया अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने यूएन के मुख्यालय में समकालीन भारत में महात्मा गाँधी की प्रासंगिकता के कार्यक्रम में अपने विचारों को रखा था।
हसीना ने कहा कि “शेख मुजीब ने 26 मार्च 1971 को बांग्लादेश की आज़ादी का ऐलान कर दिया था और पाकिस्तानी सैन्य तानाशाहों के खिलाफ हथियार संघर्ष की मांग की थी जब पाकिस्तान ने बांग्लादेश के निहत्थो के खिलाफ नरसंहार की शुरुआत कर दी थी।”
हसीना ने महात्मा गाँधी को एक सच्चा देशभक्त, संत और मानवीय दयालुता के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान करने वाला करार दिया था। उन्होंने कहा कि “गाँधी अँधेरे में रौशनी की एक किरण और उम्मीद है उनके अद्भुत और अविस्मर्णीय नेतृत्व में दुनिया को दिखा दिया कि एक व्यक्ति अहिंसा के मार्ग पर चलकर सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन ला सकता है।”
हसीना ने कहा कि “महात्मा गाँधी को अवाम की ताकत पर भरोसा था और उनके विविधता के विचारों का जश्न आज दुनिया का हर लोकतान्त्रिक देश मनाता है। उनके सहिष्णुता, अहिंसा और उनका सामंजस्य अस्तित्व आज भी भी राष्ट्र के निर्माण के लिए मार्ग दिखाता है।”
महात्मा गाँधी की 150 वीं वर्षगाँठ पर भारत ने यूएन में एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी जिसमे आज की दुनिया में महात्मा गाँधी के मूल्य और विचारों की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना, सिंगापुर की पीएम ली असिएँ लोंन्ग और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन इस सम्मेलन में मौजूद थे।