आज हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट के गुस्से का सामना करना पड़ा। गरीबों के लिए शेल्टर बनाने के मामले में कोर्ट ने तीनों सरकारों को जमकर लताड़ा है। सरकारों पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा है कि पैसा नाली में क्यों नहीं बहा देते, या इस योजना को बंद ही क्यों नहीं कर देते।
गरीबों की हालत पर चिंता जाहिर करते हुए कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि गरीबों के लिए भोजन कहां से आता है? या वो भीख मांगकर अपना पेट भरने को मजबूर है और उनके सोने की क्या व्यस्था सरकार ने किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब माँगा है कि आपकी सरकार सिर्फ 6 हजार लोगो को घर प्रदान कर पायी है। जबकि यूपी में 1.80 लाख लोग बेघर है। ऐसे में 1.74 लाख लोग अपना जीवन व्यापन कैसे कर रहे है?
हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने सवाल किया है कि अक्टूबर 2014 में जो हलफ़नामा दायर किया गया था उसके मुताबिक हरियाणा में 6107 शेल्टर थे तथा जो हलफ़नामा अभी दायर किया गया है उसके अनुसार भी 6107 शेल्टर ही हैं। इसका मतलब सरकार ने पिछले 3 सालों में इस क्षेत्र में कोई काम ही नहीं किया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आपने पिछले 3 सालों में किया क्या है।
यूपी सरकार से भी सुप्रीम कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताई है। बड़े ही सख्त लहजे में कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ काम की बातें करने से कुछ नहीं होगा, वास्तव में काम दिखना भी चाइए। सरकार के कामों का हिसाब मांगते हुए कोर्ट ने पूछा है कि नए अर्बन शेल्टरों का काम कबसे शुरू होगा। इतना ही नहीं सरकार को पूरा हिसाब कोर्ट को देने कि बात कहते हुए अदालत ने पूछा है कि सरकार बताए कि कितना पैसा और कितना वक्त लगेगा।
तीनों सरकारों को इस मामले को गंभीरता से लेने को कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि टेक्सपायर्स के पैसो का दुरूपयोग ना करें।