संयुक्त राष्ट्र ने देश में बहुआयामी गरीबी को कम करने के लिए भारत की सराहना की है, यह विश्व का सबसे तीव्र दर है। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, 27.1 करोड़ लोगो ने साल 2005-06 और 2015-16 में गरीबी के स्तर से ऊपर आये हैं। इस रिपोर्ट में 101 देशों को लिया गया है जिसकी जनसँख्या 5.7 अरब है।
यूएन की साल 2019 की बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक में तीव्रता से कमी को अनुभव किया है। 27.1 करोड़ लोगो ने साल 2005-06 और 2015-16 में गरीबी के स्तर से ऊपर आये हैं। बीते वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार सबसे गरीब क्षेत्र, समूह और बच्चे तीव्रता से गरीबी के स्तर से बाहर निकल रहे हैं।”
आय के स्तर के आलावा एमपीआई ने विभिन्न तत्वों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और रहने के मानको का मूल्यांकन किया है। संघठन ने कहा कि “भारत ने मजबूती से पोषण, स्वच्छता, पकाने के इंधन और संपत्ति में सुधार किया है। यूएन के मुताबिक गरीबी बेहद जटिल है।
आर्थिक असमानता और गरीबी के बीच कोई भी सम्बन्ध नहीं है। दक्षिण एशिया में 22.7 फीसदी पांच साल के बच्चे घरो में पोषण की कमी से जूझ रहे हैं। जहां करीब घर में एक बच्चा कुपोषित है लेकिन एक बच्चा नहीं भी है।