गणतंत्र दिवस समारोह में नई दिल्ली के राजपथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी राज्य की समृद्घ कला और संस्कृति के रंग बिखरेंगी। इस झांकी में राज्य के पारंपरिक शिल्प और आभूषणों को प्रदर्शित किया जाएगा। गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाले मुख्य समारोह के लिए राज्य की झांकी को रक्षा मंत्रालय की विशेष समिति ने मंजूरी दे दी हैं।
यह झांकी राजपथ पर देश और विदेश से आए लाखों दर्शकों को समृद्घ छत्तीसगढ़ी संस्कृति के विभिन्न रंगों से परिचित कराएगी। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, झांकी के साथ बस्तर के 25 आदिवासी नर्तकों का एक दल भी होगा। यह दल राजपथ पर झांकी के साथ माड़िया नृत्य प्रस्तुत करेगा। यही दल बाद में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के समक्ष भी अपनी लोकनृत्य कला प्रदर्शित करेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस समारोह के लिए राज्य की झांकी के चयन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ की संस्कृति को देश-विदेश के लाखों दर्शकों के सामने अपनी अनूठी पहचान बनाने का अवसर मिलेगा। राज्य की झांकी को गत वर्ष राजपथ पर मुख्य समारोह में भाग लेने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ था।”
बताया गया है कि, देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच कठिन चयन प्रक्रिया से गुजर कर छत्तीसगढ़ की झांकी का चयन हुआ है। महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड जैसे कई राज्यों की झांकी का चयन नहीं हो पाया।
राज्य के जनसंपर्क विभाग ने राज्य की ओर से हरेली पर्व, राजिम माघी पुन्नी मेला और कांगेर घाटी की जैव विविधता विषयवस्तु को भी विशेषज्ञ समिति के समक्ष प्रस्तुत किया था लेकिन समिति ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक शिल्प कला और आभूषणों पर आधारित विषयवस्तु का चयन किया। रक्षा मंत्रालय की इस समिति में देश के प्रख्यात कलाकार, वास्तुविद, संगीतकार, मूर्तिकार, गायक, पेंटर, फोटोग्राफर और अन्य विधाओं के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।