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    इस बार गणतंत्र दिवस पर चार साल बाद राजस्थान को झांकी निकालने का अवसर मिल रहा है। लंबे अंतराल बाद ही सही, मगर गुलाबी झांकी में इस बार दुनिया को जयपुर की विश्व प्रसिद्ध विरासत का दीदार होना तय है।

    यहां बुधवार को आईएएनएस के साथ बातचीत में राजस्थान ललित कला अकादमी के सहायक सचिव विनय शर्मा ने कहा, “बीते चार साल से राजस्थान की झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का मौका नहीं मिल पा रहा था। इतने लंबे समय बाद जब मौका मिला तो राजस्थानी धरोहर का दीदार कराने के वास्ते राज्य ने इसमें पूरी ताकत झोंक दी है। राजस्थानी परंपरा को नजरों से ही देख-पहचान लेने के लिए झांकी का रंग गुलाबी दिया गया है।”

    उन्होंने कहा, “झांकी को भीड़ से अलग रखने की उम्मीद में ही उसके डिजाइन की जिम्मेदारी सौंपी गई हरशिव शर्मा को। हरशिव राजस्थान के जाने-माने कलाकार हैं। झांकी की खूबसूरती को निखारा जा रहा है दिल्ली छाबनी स्थित राष्ट्रीय रंगशाला परिसर में। गणतंत्र दिवस की परेड से पहले झांकी गुरुवार, 23 जनवरी को होने वाली फुल ड्रेस रिहर्सल परेड में हिस्सा लेगी।”

    इस मनमोहक गुलाबी झांकी को बुधवार को दिल्ली में आयोजित प्रेस-प्रिव्यू में भी दर्शनार्थ लाया गया। झांकी में जयपुर के प्राचीन वैभव का भी दीदार कराने की सफल कोशिश की गई है। झांकी में झरोखों से सुसज्जित बाजारों, स्मारकों के प्रवेशद्वार बेहद मनमोहक बन पड़े हैं। झांकी में त्रिपोलिया दरवाजा, स्टैच्यू सर्किल और सिटी पैलेस द्वार को भी दर्शाया गया है।

    झांकी के ट्रैक्टर पार्ट पर कंगूरेदार परकोटा पर जयपुर के संस्थापक सवाई जय सिंह की प्रतिमा आलंकारिक संगमरमर पत्थर में छतरी सहित दिखाई देती है, जो झांकी को और भी ज्यादा आकर्षक बना देती है। झांकी के पृष्ठभाग में जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित चंद्रमहल का रंगीन डिजाइन युक्त द्वार, झरोखे व खूबसूरत गुंबद को भी दिखाया गया है।

    झांकी के ट्रेलर पार्ट में जयपुर शहर की खूबसूरत दीवारों की झलक दिखाने के लिए गुलाबी रंग की छतरियों, जालियों, महराब इत्यादि से सजाया गया है, जो कलाकारी के नजरिये से जितने ज्यादा परिश्रम वाला काम है, देखने के नजरिये से उतना ही खूबसूरत है। इस गुलाबी झांकी में तीनों तरफ के दरवाजों में लोक-कलाकारों को ग्यारह प्रकार के सुप्रसिद्ध कठपुतली नाच पेश करते भी देखा जा सकता है।

    झांकी के ऊपर लोक वाद्य-वादकों को सारंगी, मंजीरा, ढोलक आदि बजाते हुए दर्शाया गया है। राजस्थानी संगीत की सुमधुर धुनों के साथ सिर पर मटके लेकर चरी एवं भवई नृत्य प्रस्तुत करती नृत्यांगनाओं का दीदार भी इस अद्भुत गुलाबी झांकी में दिखाई देता है।

    झांकी के दोनों तरफ राजस्थान के प्रसिद्ध लोक-देवता रामदेव जी पीर के गीत ‘रुण झुण बाजे घूंघरा’ लोकगीत पर नृत्यांगनाओं द्वारा पेश किया जा रहा नृत्य गुलाबी झांकी को उसके नामानुरूप बेहद मन-भावन बना देता है।

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