खड़गपुर एशिया का सबसे बड़ा रेलवे प्लेटफार्म तो है ही, अब यहां रेलवे विभाग ने सबसे बड़ी एसएसआई सिस्टम भी स्थापित कर दी है। इस स्टेशन से ट्रेनों के बेहतर परिचालन के लिए सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग (एसएसआई) प्रणाली को दक्षिण-पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक एस. एन अग्रवाल ने पूरी तरह से सफल बताया है।
इंटर लॉकिंग प्रणाली द्वारा कुछ ही मिनटों में ट्रेनें करीब 800 अलग-अलग रूट तय कर सकेंगी। आप को जानकारी के लिए बता दें कि रेलवे का यह एसएसआई यानि सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग सिस्टम सौ साल पुरानी रूट रिले इंटरलॉकिंग की जगह लेगा। रूट रिले इंटरलॉकिंग से केवल 423 रूटों का निर्धारण हो पाता था।
दपूरे. के महाप्रबंधक ने बताया कि खड़गपुर में स्थापित किया इंटरलॉकिंग प्रणाली एशिया ही नहीं वरन विश्व का सबसे बड़ा इंटरलॉकिंग वर्क है। इस स्टेशन पर बने करीब 840 रूट के आवागमन में अब आसानी होने से रेल यात्रियों को भी सुविधा होगी।
आखिर क्या है इंटरलॉकिंग प्रणाली
रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस आधुनिक सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग सिस्टम को बनाने में कुल 39 करोड़ रूपए का खर्च आया है। दरअसल इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे का एक ऐसा सिग्नल उपकरण है, जो रूटों की पहचान कर ट्रेनों के विरोधाभासी आवागमन को रोकने में सहायता करता है।
यही नहीं यह पैनल पर काम कर रहे स्टेशन मास्टर को इस बात की सूचना देगा कि किस रूट पर कौन सी ट्रेन आ रही है। ऐसे में इंटरलॉकिग सिस्टम जंक्शन या क्रॉसिंग जैसी पटरियों की व्यवस्था को रोकने का काम करता है। इस व्यवस्था से रेलों के विनाशकारी टकराव से बचने में आसानी होगी। यह इंटरलॉकिंग सिस्टम माइक्रोपोसेसर साफ्टवेयर आधारित है। यह ट्रेन, डिब्बों की संख्या के साथ ही प्लेटफॉर्म पर ट्रेनों के ठहराव आदि की सुनिश्चित जानकारी देगा।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इंटरलॉकिग सिस्टम को चालू करने की तैयारी करीब 18 महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी।
रेलवे की पुरानी व्यवस्था के चलते रेल यातायात घंटों बाधित होता था, यही नहीं कई बार ट्रेनों के रद्द होने तथा देर से परिचालन के कारण यात्रियों को काफी असुविधा होती थी।
ऐसी असुविधा से बचने के लिए रेलवे विभाग ने इंटरलॉकिंग सिस्टम की यह नवीन योजना बनाई है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस सिस्टम के चालू होने से यात्रियों को अब कोई असुविधा नहीं होगी।
रेलवे से हटाये जायेंगे डीजल इंजन
रेल मंत्री पियूष गोयल ने आज एलान किया है कि अगले पांच सालों में रेलों में डीजल इंजन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। इसकी जगह पर विधुत इंजन का इस्तेमाल किया जाएगा।
गोयल के मुताबिक रेलवे से डीजल इंजन को बंद करने से देश को लगभग 11,500 करोड़ रूपए का फायदा होगा। इसके साथ ही विधुत इंजन का इस्तेमाल करने से वायु प्रदुषण में भी राहत मिल सकती है।