साल 2013 के बाद से ही रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी का दौर बना हुआ है। डेवलपर्स द्वारा अपनी मौजूदा इन्वेंट्री को ऑफलोड करने तथा हाल में ही कुछ नए प्रोजेक्ट लॉन्च करने के चलते जमीन की कीमतें कुछ बढ़ी हैं। एम्बिट कैपिटल की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण के नियमों और राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के कारण 2018-20 में भूमि तथा अपार्टमेंट की कीमतों में कुछ नरमी देखी जा सकती है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या रिएल एस्टेट की कीमतों में और गिरावट का इंतजार करना चाहिए या फिर मौजूदा छूट पर ही अपार्टमेंट खरीदना चाहिए? (सम्बंधित खबर : घर खरीदना बेहतर विकल्प या किराये का मकान? )
एम्बिट की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य मेें रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण में उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद से डेवलेपर्स अगली परियोजनाओं को लेकर थोड़ा सुस्त दिख रहे हैं। ऐसे में अब डेवलेपर्स अपनी अगली परियोजनाओं को शुरू करने से पहले कुछ समय तक इंतजार करना और देखना चाहते हैं।
नियामक प्राधिकरण की ओर से तय किए जुर्माने और अन्य दंडों से बचने के लिए डेवलपर्स ने आंतरिक दरें कम करने के साथ ही लंबी अवधि की परियोजनाओं में कमी कर दी है। ऐसे में अब डेवलपर्स अपनी एक परियोजना को बेचने के बाद ही अगली परियोजना के लिए भूमि खरीदने की कोशिश करेंगे।
गौरतलब है कि एनसीएलटी की गतिविधियां भी रिएयल स्टेट के सस्ता होने का कारण बन सकती हैं। आप को बता दें कि रियल एस्टेट की करीब 60 बड़ी कंपनियां दिवालियापन की प्रक्रिया में हैं। जमीनों के अचानक मार्केट में आने से यदि उनकी डिमांड में कमी हुई तो कीमतों में भी गिरावट देखी जा सकती है। अत: 2019—20 में डेवलपर्स ऐसी जमीनों का उपयोग कर कम कीमतों पर ही अपनी परियोजनाएं लॉन्च कर सकते हैं।
हांलाकि रिएल एस्टेट विशेषज्ञ उपरोक्त रिपोर्ट से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। डेवलपर और मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ शतधल का कहना है कि “एनसीएलटी प्रक्रिया लंबे समय के लिए तैयार की जा सकती है। जिससे बाजार में भूमि की कीमतें बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाएंगी।”
विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही जमीन की कीमतें कम हो जाएं लेकिन अपार्टमेंट की कीमतें कम हों, ये कोई जरूरी नहीं है।” क्यों कि अपार्टमेंट कंस्ट्रक्शन में काम आने वाली वस्तुओं की कीमतें बढ़ चुकी हैं।
आरईआरए यानि रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण नियमों के कारण एक परियोजना को पूरा करने के लिए डेवलेपर्स द्वारा एकत्र किए गए पैसों के उपयोग करने की बहुत कम गुंजाइश बची है। प्रॉप टाइगर डॉट कॉम के मुख्य निवेश अधिकारी अंकुर धवन का कहना है कि “भले ही जमीन की कीमतें गिर जाए बावजूद इसके डेवलपर्स उपभोक्ताओं को मिलने वाले फायदों के मुकाबले ज्यादा मार्जिन हासिल कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि केवल ग्रेड ए डेवलपर्स ही आज जमीनें खरीदने की स्थिति में हैं। अत: ऐसे डेवलपर्स अपार्टमेंट की कीमतें कभी भी कम नहीं कर सकते हैं। रियल एस्टेट विशेषज्ञों का यह मानना है कि अब उपभोक्ताओं को मौजूदा कीमतों पर ही अपार्टमेंट खरीद लेना चाहिए। आज की तारीख में खरीददार कम से कम 15 फीसदी छूट के साथ डेवलपर्स से बातचीत की उम्मीद तो कर ही सकते हैं।