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    सरकार ने कोविशील्ड की दोनों डोज के बीच के अंतराल को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है। स्वास्थय मंत्रालय ने जानकारी दी कि डॉ. एन के अरोड़ा के नेतृत्व में कोविड कार्य समूह ने कोविशील्ड टीके की पहली खुराक और दूसरी खुराक के बीच के अंतर को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने की सिफारिश की है। कोविशिल्ड की दोनों खुराक के बीच वर्तमान अंतर 6-8 सप्ताह का है।

    उपलब्ध रियल-लाइफ साक्ष्यों के आधार पर, विशेष रूप से ब्रिटेन के साक्ष्यों के आधार पर, कोविड कार्य समूह ने कोविशील्ड की दोनों खुराक के अंतर को 12-16 सप्ताह बढ़ाने पर सहमति जताई है। कार्य समूह ने कोवैक्सीन टीके के अंतराल में परिवर्तन की सिफारिश नहीं की है।

    ‘अंतराल बढ़ने से असर बढ़ेगा’

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन के दो खुराक के बीच के गैप को 6 से 8 हफ्ते से बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया गया है। ये फैसला कोविड वर्किंग ग्रुप की तरफ से की गई सिफारिशों के आधार पर लिया गया है।

    अब सवाल उठता है कि दोनों डोज के बीच अंतराल बढ़ाने का फैसला दूसरी बार क्यों लिया गया है। इसके जवाब में एम्स डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि यदि आप 4 सप्ताह से कम समय में अपनी बूस्टर खुराक (कोविशील्ड का दूसरी डोज) लेते हैं, तो प्रभावकारिता 55-60% के बीच है। और अगर आप इसे 12 सप्ताह या उससे अधिक समय बाद लेते हैं, तो इसकी प्रभावकारिता 81-90% के करीब हो जाती है। यदि आप अपनी दूसरी खुराक (कोविशील्ड की) 12 सप्ताह या उससे अधिक समय बाद लेते हैं तो आपको बेहतर बूस्टर प्रभाव मिलता है।

    क्या कहते हैं वैक्सीन निर्माता कंपनी के सीईओ

    कोवीशील्ड वैक्सीन की निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वैक्सीन की डोज में बढ़ाया गया अंतराल इसकी प्रभावकारिता और प्रतिरक्षात्मकता, दोनों ही दृष्टिकोणों से फायदेमंद है। अंतर को बढ़ाने का फैसला वैज्ञानिक दृष्टि से अच्छा है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ट्वीट के माध्यम से भी अंतराल को बढ़ाने की पुष्टि की है।

    पूनावाला के मुताबिक, कोविशील्ड की पहली डोज लगने के एक महीने बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी तैयार होने लगती है। उन्होंने कहा, “हमने 50 वर्ष से नीचे की उम्र के लोगों में गजब का असर दिखा है। हम कह सकते हैं कि एक डोज भी एक महीने बाद जबर्दस्त सुरक्षा प्रदान करती है। कम-से-कम जिनमें संक्रमण से जितनी एंटिबॉडी बनती है, उनसे ज्यादा तो सुरक्षा तो एक ही डोज से मिल जाती है। करीब 70% लोग एक डोज से ही पूरी तरह सुरक्षित हो जाते हैं, लेकिन लंबे वक्त तक की इम्यूनिटी बनाने के लिए दूसरी डोज जरूरी है।”

    इम्यूनिटी बढ़ाने के हिसाब से बेहतर फैसला

    इसी तरह दिल्ली में कोविड को लेकर काम कर रहे स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ रविन्द्र डबास कहते हैं कि आईसीएमआर पहले से ही डोज के अंतराल को बढ़ाने का सुझाव देता रहा है। अंतराल बढ़ाने को लेकर कई अध्ययनों में भी दावा किया जाता रहा है कि इससे इम्यूनिटी और मजबूत करने में मदद मिल सकेगी। यह फैसला कई मायनों में फायदेमंद हो सकता है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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