Fri. Dec 27th, 2024

    भारत उन 20 से अधिक देशों के साथ राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत और कार्यान्वयन में मदद करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म को-विन की सफलता की कहानी साझा करेगा, जिन्होंने अपने टीकाकरण अभियान को चलाने के लिए इस पोर्टल को अपनाने में रुचि दिखाई है।

    को-विन वैश्विक सम्मेलन 30 जून को

    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण की संयुक्त पहल पर 30 जून को डिजिटल माध्यम से को-विन वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें दूसरे देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।

    यूएई और इराक समेत 20 से अधिक देशों ने को-विन पोर्टल में दिखाई रुचि

    सूत्रों ने कहा कि वियतनाम, पेरू, मैक्सिको, इराक, डोमिनिकन रिपब्लिक, पनामा, यूक्रेन, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात और युगांडा जैसे कई देशों ने अपने कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने के लिए को-विन तकनीक के बारे में सीखने में रुचि व्यक्त की है।

    को-विन अध्यक्ष ने कहा- कई देशों ने की को-विन प्लेटफार्म में रुचि व्यक्त

    टीकाकरण सशक्त समूह (को-विन) के अध्यक्ष व राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डाॅ. आरएस शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कई देशों ने को-विन प्लेटफार्म में रुचि व्यक्त की है, जिसका उपयोग दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण अभियान के संचालन के लिए किया जा रहा है।

    को-विन अध्यक्ष ने कहा- भारत वैश्विक सम्मेलन में को-विन प्लेटफार्म को करेगा साझा

    उन्होंने कहा, ‘वैश्विक सम्मेलन में, भारत इस डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से सार्वभौमिक टीकाकरण के संबंध में अपने अनुभव को साझा करेगा। भारत ने कोविड टीकाकरण की रणनीति, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए केंद्रीय आइटी प्रणाली के रूप में को-विन विकसित किया था।’

    टीकाकरण अभियान की तकनीकी रीढ़ को-विन

    शर्मा ने कहा कि को-विन या कोविड टीका निगरानी तंत्र देश के व्यापक टीकाकरण अभियान की तकनीकी रीढ़ के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा, संकट की इस घड़ी में तीव्रता और सहज समन्वय सर्वोपरि है। हमें निष्पक्ष रूप से परीक्षण करते हुए और टीकाकरण केंद्रों को लचीलापन प्रदान करके इन्हें संतुलित करने की आवश्यकता है। यह किसी भी देश के लिए कठिन है लेकिन हमारी जनसंख्या के आकार और विविधता को देखते हुए यह चुनौती और भी कठिन हो जाती है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *