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    पाकिस्तान इस्लामाबाद मीडिया

    पाकिस्तान सरकार द्वारा कट्टरपंथी संगठनों के सामने घुटने टेक देने का विरोध कोर्ट के साथ ही मीडिया ने भी किया है। सोमवार को कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने प्रदर्शनकारियों के सामने अपने घुटने टेक दिए है। और सेना की मध्यस्थता को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए थे।

    अब मीडिया भी पाक सरकार की इस कार्रवाई का जमकर विरोध कर रहा है। सोशल मीडिया, टीवी चैनलों व अखबारों के जरिए मीडिया ने पाक सरकार की आलोचना की है।

    पाकिस्तानी मीडिया ने मंगलवार को कहा था कि पाक सरकार ने प्रदर्शनकारियों से सौदा करके आत्मसमर्पण किया है। मीडिया ने इसे पाक सरकार के विनाशकारी कदम की तरह बताया है।

    पाकिस्तान के मुख्य अंग्रेजी अखबारों के संपादकीय में पाक सरकार की आलोचना की गई। तहरीक-ए-लब्बैक के साथ पाक सरकार का समझौता करने में सेना की मध्यस्थता को मीडिया ने दलाल कहा है।

    पाक सरकार ने कट्टरपंथियों के साथ हुए समझौते के मुताबिक पाक कानून मंत्री जाहिद हमीद का इस्तीफा दिलवाया और चुनावी शपथ में बदलाव से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया।

    पाक सरकार को लिया आडे़ हाथ

    एक अखबार के संपादकीय में कहा गया कि ये पाक सरकार का प्रदर्शनकारियों के सामने आत्मसमर्पण है। इससे सभी का मन काफी खराब हो गया है। प्रदर्शनकारियों के साथ हुए समझौते को इसने राज्य संस्थानों की वैधता और नैतिकता के लिए एक विनाशकारी झटका बताया है।

    द एक्स्प्रेस ट्रिब्यून ने अखबार में लिखा है कि सरकार का यह कदम भविष्य में विनाशकारी होगा। राष्ट्र ने अपने संपादकीय में लिखा कि पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में पहली बार फैजाबाद में बर्बरता, दुरुपयोग के आगे सरकार झुकी है।

    इसने लिखा है कि पाक सरकार को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए। ये कोई बातचीत नहीं थी। प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त के समर्पण करना चाहिए था। साथ ही लिखा गया कि पाकिस्तान को आने वाले समयों में गंभीर नतीजों का सामना करना पड़ सकता है।

    एक अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि प्रदर्शनकारियों ने काफी हिंसा की लेकिन इसके बावजूद भी पाक सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया।

    इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी पाक सरकार की काफी आलोचना की गई। वहीं एक अखबार ने कहा कि सैन्य बलों का समझौते में सहायता लेना सरकार को अपमानित करने वाला कदम है।