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    कैश मेमोरी cache memory in hindi

    विषय-सूचि

    कैश मेमोरी की परिभाषा (definition of cache memory in hindi)

    परिभाषा – कैश मेमोरी एक परिवर्तनशील मेमोरी है जो की कम्प्युटर में होती है जो की सीपीयू के काफी पास होती है इसलिए इसे सीपीयू मेमोरी भी कहा जाता है। जो भी दिशा निर्देश उसी समय दिये हुए होते हैं वो कैश मेमोरी में चले जाते हैं और उसमे संग्रहीत हो जाते हैं।

    कैश मेमोरी का महत्व (importance of cache memory in hindi)

    कैश मेमोरी प्रॉसेसर और मेमोरी के बीच में काम करता है। कैश मेमोरी तेज़ी से काम करता है और यह कम्प्युटर की सामान्य मेमोरी से भी तेज़ काम करता है। कैश मेमोरी का प्रवेश समय 100ns होता है जबकि मैन मेमोरी का समय 700ns होता है।

    कैश मेमोरी काफी महंगी होती है पर उसकी डाटा रखने की क्षमता भी कम ही होती है। पहले के समय कैश मेमोरी अलग से होती थी पर आजकल माइक्रो प्रॉसेसरस में कैश मेमोरी चिप पर होती है। मैन मेमोरी और सीपीयू की बेमेल गति की वजह से हमे कैश मेमोरी की जरूरत होती है।

    सीपीयू की का काम करने का समय काफी तेज़ होती है जबकि मैन मेमोरी का प्रवेश समय थोड़ा धीरे होता है। इससे हमे यह पता चलता है की कोई मतलब नहीं प्रॉसेसर कितना तेज है प्रोसेसिंग की गति केवल मैन मेमोरी की गति पर निर्भर करती है।

    इसी कारण से कैश मेमोरी के प्रवेश का समय प्रॉसेसर की काम करने की गति के समय से काफी पास है। कैश मेमोरी उन प्रोग्राम्स को स्टोर करता है जो की अभी चल रहे हैं और अभी थोड़ी देर में चलने वाले हैं। कैश मेमोरी उस डाटा को भी स्टोर करता है जो की अस्थायी है और जल्द ही सीपीयू के काम में आने वाला है।

    कैश मेमोरी काफी तरह की एल्गॉरिथ्मस पर काम करता है जिससे की वह यह समझ पाए की उसे किस तरह की जानकारी को स्टोर करना है और किसको नहीं। यह एल्गॉरिथ्म यह भी बताती है की हमे किस डाटा की जरूरत अभी पड़ने वाली है। पहले के अनुभवों से यह सब संभावना लगाई गयी है की डाटा में ऐसा भी कुछ होता है।

    कैश मेमोरी के प्रकार (types of cache memory in hindi)

    कैश मेमोरी सीपीयू की गति को बढ़ाती है पर यह काफी महंगी होती है। कैश मेमोरी 3 भागों में विभाजित होता है।

    1. लेवेल 1 (L1) कैश और प्राथमिक कैश (primary cache memory in hindi)

    L1 एक प्राथमिक तरह का कैश मेमोरी है। L1 कैश का आकार थोड़ा छोटा होता है और कैश के मुताबिक इसका आकार 2 केबी से 64 केबी तक का होता है, जो की कम्प्युटर के प्रॉसेसर पर निर्भर करता है। यह सीपीयू में अंदर की तरफ लगा हुआ होता है।

    जो भी दिशा निर्देश सीपीयू द्वारा लिए जाते हैं उनको सबसे पहले L1 कैश में देखा जाता है। इसके कुछ उदाहरण है एड्रैस रजिस्टर, प्रोग्राम काउंटर आदि।

    2. लेवेल 2 (L2) कैश और माध्यमिक कैश (secondary cache memory in hindi)

    यह माध्यमिक तरह का कैश है। इसका आकार L1 से थोड़ा बड़ा होता है। इसका आकार 256 केबी से 512 केबी तक का होता है।

    L2 कैश कम्प्युटर के माइक्रो प्रॉसेसर में होता है। जब भी किसी दिशा निर्देशों को कम्प्युटर के माइक्रो प्रॉसेसर के द्वारा L1 में देखा जाता है अगर वे वहाँ नहीं मिलते तो उसके बाद उसे L2 में देखा जाता है।

    3. लेवेल 3 (L3) कैश ओर मैन मेमोरी (main memory in hindi)

    L3 कैश आकार में औरों से बड़ा होता है पर यह L1 और L2 से गति में थोड़ा धीरे होता है। इसका आकार 1 एमबी से 8 एमबी तक का होता है। L3 कैश रैम की गति को भी बढ़ाने में काफी सहायक होता है।

    कैश मेमोरी का कार्य (working of cache memory in hindi)

    कम्प्युटर खुद ही अपने आप काम नहीं कर पाता इसके लिए हमे प्रोग्राम की जरूरत होती है जो की सीपीयू को क्या क्या काम करना है यह बताने का काम करता है।

    सीपीयू किसी भी काम को करने के लिए रैम पर निर्भर होता है। रैम के साथ एक हानी यह है की इसमे अगर बिजली की सप्लाइ बंद कर दी तो डाटा का नुकसान हो जाता है और डाटा उड़ जाता है।

    यह अप्रत्याशित परिस्थिति तब आती है जब किसी स्थायी मेमोरी की हमे जरूरत होती है जो की डाटा को स्टोर करने में काम आए और उसके कम्प्युटर के बंद होने से भी फरक नहीं पड़े।

    प्रॉसेसर ऑपरेटिंग सिस्टम और चिपसेट के साथ साथ डाटा का गणित करता है और और डाटा को रखने के दिशा निर्देश देता है ताकि डाटा को सुचारु रूप से रखा जा सके।

    डाटा के दिशा निर्देशों को कैश मेमोरी में रखा जाता है ताकि उन्हे जल्दी और आसानी से चलाया जा सके।

    ऑपरेटिंग सिस्टम कैश मेमोरी के निरंतर अपडेटस पर निर्भर करता है और मैन मेमोरी में से अभी इसी समय चल रहे दिशा निर्देशों की देख रेख करता है। मैन मेमोरी से कैश मेमोरी में जा रहे डाटा वाले काम को हम कैशबल मेमोरी बोलते हैं।

    ज़्यादातर सिस्टमों की कैश मेमोरी 64 एमबी होती है। कैश मेमोरी का प्रमुख उदाहरण वर्ड डॉकयुमेंट है। जब भी कभी एक दम से बिजली चले जाती है तब जो भी बिना सेव किया हुआ डाटा है वह कैश मेमोरी के रूप में स्टोर हो जाता है।

    जैसे ही दुबारा बिजली आती है तब वर्ड में एक विकल्प आता है उस फ़ाइल को दुबारा चलाने का जिससे की उस डाटा को हम दुबारा देख सकें और उसी फ़ाइल में आगे काम कर सकें। यह सब केवल कैश मेमोरी की वजह से ही संभव हो पाया है।

    कैश मेमोरी और रैम में अंतर (difference between ram and cache memory in hindi)

    रैम एक तरह की प्राथमिक मेमोरी है । रैम की मदद से कम्प्युटर एक ही समय पर बहुत सारे काम कर सकता है। हम रैम के डाटा को कितनी भी बार देख, लिख और हटा सकते हैं।

    रैम की प्रोसेसिंग काफी तेज़ है। रैम तभी तक डाटा को रखता है जब तक हम उसे बिजली दे रहे है यानि जब तक आपके कम्प्युटर का स्विच ऑन है।

    वहीँ कैश मेमोरी एक बहुत ही तेज़ चलने वाली मेमोरी है जो की डाटा को कम्प्युटर के माइक्रो प्रॉसेसर में प्रभंधित करने में काम आते हैं। कैश इनपुट को स्टोर करने के काम में आता है जो की उपयोगकर्ता द्वारा दिया जाता है जिसे हम कम्प्युटर को चलाने में उपयोग में लेते हैं। पर कम्प्युटर के कैश मेमोरी की जो डाटा रखने की क्षमता होती है वह हार्डडिस्क और रैम से बहुत कम होती है।

    सम्बंधित लेख:

    1. रैम और रोम में क्या अंतर है? (difference between ram and rom in hindi)

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