नोटबंदी की दूसरी सालगिरह में अरुण जेटली ने कहा है कि नोट बंदी का उद्देश्य कैश पर प्रतिबंध लगाना नहीं था, बल्कि इसका मुख्य उद्देश्य देश में औपचारिक अर्थव्यवस्था को लागू करना व कर दाताओं की संख्याओं में वृद्धि करना था।
अरुण जेटली ने अपने बयान में कहा है कि नोटबंदी का उद्देश्य व्यवस्था को कैश से डिजिटल ट्रैंज़ैक्शन की ओर ले जाना था।
इसी के साथ अरुण जेटली ने नोटबंदी समेत जीएसटी और ऐसी ही अन्य योजनाओं को भाजपा सरकार की उपलब्धियों के रूप में गिनाया है।
जेटली ने यह बातें एक ब्लॉग पोस्ट के जरिये कहीं हैं, जिसमें उन्होने कहा है कि “नोटबन्दी का असर निजी आयकर पर अधिक पड़ा है। वर्ष 2018-19 में पिछले वर्ष से 20.2 प्रतिशत अधिक आयकर की प्राप्ति हुई है।”
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इसी के साथ प्रत्यक्ष कर में 9 प्रतिशत व व्यावसायिक कर में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ हुई है।
जेटली ने नोटबंदी को कैशलेस ट्रैंज़ैक्शन के लिए बिल्कुल सही बताते हुए कहा है कि नोटबंदी के पहले अक्टूबर 2016 में देश में 0.5 अरब रुपये का कैशलेस ट्रैंज़ैक्शन होता था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 598 अरब रुपये तक पहुँच गया है।
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सरकार ने कैशलेस ट्रैंज़ैक्शन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2016 में एक UPI एप भीम लॉंच की थी। आज भीम एप के करीब 1.25 करोड़ सक्रिय यूजर हैं।
वहीं अरुण जेटली ने कहा है कि देश की बैंकों में इतनी बड़ी मात्र में जमा हुए कैश से बैंकों की ऋण देने की क्षमता में इजाफा हुआ है, इसी के साथ इस पैसे को बड़ी मात्र में म्यूचुअल फ़ंड और ऐसे ही अन्य निवेश के साधनों में निवेश किया गया है।
जेटली के अनुसार इस तरह से यह धन भी देश में औपचारिक व्यवस्था का हिस्सा बन गया है।
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