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    टीसीएस

    भारत में पिछले कुछ सालों से खासकर की नोटबंदी के बाद से रोजगार अवसर के हालत खराब चल रहे हैं और बेरोजगारी बढ़ रही है। इससे रिलेटेड हाल ही में एक रिपोर्ट भी पेश की गयी गयी थी जिसमे यह वर्णन किया गया था।

    NSSO की रिपोर्ट का विवरण :

    हाल ही नेशनल सर्वे एंड सम्प्लिंग द्वारा एक रिपोर्ट पेश की गयी थी जिसमे नोटबंदी के बाद के हालत को मापा गया था। इस रिपोर्ट में यह बयान दिया गया है की वित्तीय वर्ष 2017-18 में देश का बेरोजगारी की दर सबसे अधिक 6.1 प्रतिशत रही जोकि इस दर को पिछले 45 वर्षों में उच्चतम स्तर की दर बनाता है। यह जानकारी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के द्वारा जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच जुटाई गयी थी।

    टीसीएस ने हताश बेरोजगारों को दी रहत :

    पिछले कुछ समय से बढती बेरोजगारी को लेकर देश के वासी निराश नज़र आ रहे हैं लेकिन इसी बीच टीसीएस ने अपनी पहल से इन्हें राहत देने की कोशिश की है। पिछले वर्ष टीसीएस ने कुल 28,000 नौकरियां प्रदान की थी वहीँ इस साल नौकरियों की संख्या बढ़ाकर 30000 कर दिया है। यह पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा नौकरियों की संख्या है।

    यह उल्लेखनीय है की टीसीएस अपनी कार्यक्षमता को बढ़ा रहा है जिसके चलते इतनी नौकरियां उत्पन्न हुई है। कंपनी ने पिछले नौ महीनों में 15.8 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक के सौदे किये हैं जिनको पूरा करने के लिए इसे बढ़ी हुई कार्यक्षमता की ज़रुरत होगी।  टीसीएस, ईवीपी और वैश्विक मानव संसाधनों के प्रमुख अजेन्द्र मुखर्जी ने रिपोर्ट में उद्धृत किया गया था, “आगे बढ़ने पर, हमारा हेडकाउंट अतिरिक्त मजबूत रहेगा। इस वर्ष हम अपने दोहरे अंकों में राजस्व वृद्धि के बारे में काफी आश्वस्त हैं।”

    टीसीएस के सीईओ का बयान :

    इस बारे में टीसीएस के सीईओ और एमडी राजेश गोपीनाथ से चर्चा करने पर उन्होंने बताया की “देश में नौकरियों की कमी नहीं है केवल कौशल की कमी है। लोग नौकरी के लिए योग्यता हासिल बहिन कर पाते हैं जिसके कारण बेरोजगार बन जाते हैं। इसलिए हम नौकरियां देने के साथ साथ कर्मचारियों को ट्रेनिंग भी देते हैं ताकि वे विभिन्न कामों में कुशल हो सकें।”

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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