तिरुअनंतपुरम, 24 मई (आईएएनएस)| केरल में सत्तारूढ़ माकपा ने शुक्रवार को इस बात के पर्याप्त संकेत दिए कि राज्य में लोकसभा चुनाव में वाम मोर्चे की करारी हार के लिए सबरीमाला मुद्दा और मुख्यमंत्री पिनारई विजयन का नेतृत्व जिम्मेदार है।
पार्टी के केरल राज्य सचिवालय ने विजयन के इस दावे को खारिज कर दिया कि राज्य के चुनाव में सबरीमाला कभी मुद्दा था ही नहीं।
माकपानीत लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीफ) को राज्य में बीस संसदीय सीट में से महज एक पर जीत नसीब हुई। 2014 में मोर्चे को आठ सीट मिली थी। कांग्रेसनीत यूडीएफ ने बाकी की 19 सीटें जीतीं। भाजपा तिरुअनंतपुरम को छोड़कर हर जगह तीसरे नंबर पर रही।
विजयन ने इस हार पर अभी टिप्पणी नहीं की है। सिर्फ यही कहा है कि एलडीएफ ने भाजपा के खिलाफ जोरदार प्रचार किया लेकिन इसका फायदा यूडीएफ को मिल गया।
सचिवालय बैठक में विजयन ने भी हिस्सा लिया। इसमें पार्टी नेता कोडियेरी बालाकृष्णन ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया है कि अल्पसंख्यकों के मतों का यूडीएफ की तरफ जाना ही वाम मोर्चे के लगभग सफाए की वजह नहीं है बल्कि सबरीमाला भी एक बड़ा मुद्दा रहा है, एलडीएफ के गढ़ माने जाने क्षेत्रों में भी।
सचिवालय ने मई के अंत में हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए राज्य समिति की बैठक बुलाने का फैसला किया।
माकपा के वरिष्ठ नेता एम एम लॉरेंस ने भी शुक्रवार को कहा कि सबरीमाला निश्चित ही एक बड़ा मुद्दा रहा और विजयन सरकार ने इसे जिस तरह संभाला, उसे पार्टी की ही महिला सदस्य भी नहीं पचा पाईं। उन्होंने कहा कि काम की जिस शैली को गलत तरीके से पेश किए जाने का खतरा हो, उसे बदल दिया जाना चाहिए।
मोर्चे के घटक भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने कहा कि नेताओं को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे जनता से ऊपर नहीं हैं।
हालांकि, माकपा के पलक्कड़ से पराजित उम्मीदवार एम.बी. राजेश ने कहा कि वाम मोर्चे की हार में ‘कोई साजिश’ है।