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    केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा केरल सरकार को विधानसभा में सीएए वासप लेने की मांग का प्रस्ताव पारित करने के लिए फटकार लगाने के एक दिन बाद केरल गर्वनर आरिफ मोहम्मद खान ने भी सीएए विरोधी प्रस्ताव को लेकर टिप्पणी की है।

    राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सीएए विरोधी प्रस्ताव को लेकर कहा है कि इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है क्योंकि नागरिकता विशेष रूप से एक केंद्रीय विषय है। इसका वास्तव में कोई मतलब नहीं है।

    ज्ञात हो मंगलवार को केरल विधानसभा में सीएए को समाप्त करने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसके साथ ही केरल विधायी रूप से विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वाला पहला राज्य बन गया है।

    जिसके बाद गुरुवार को तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के विधायकों ने तमिलनाडु विधानसभा के सचिव के. श्रीनिवासन को विधानसभा के आगामी सत्र में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रस्ताव अपनाने की मांग के साथ ज्ञापन सौंपा है।

    सीएए के विरोध में प्रस्ताव केरल के मुख्यमंत्री पिनारई विजयन द्वारा पेश किया गया था। उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया था कि सीएए भारत को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने का प्रयास है।

    अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग करते हुए, केरल के सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और विपक्षी कांग्रेस की अगुवाई वाली यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) सीएए के खिलाफ एक साथ आए  और संयुक्त रूप से इस पर आक्रमण किया।

    जबकि दो मोर्चों के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव का समर्थन किया और केंद्र की आलोचना की। 140 सदस्यीय सदन में भाजपा के एकमात्र विधायक, राजगोपाल ने इस प्रस्ताव को “अवैध और असंवैधानिक” करार दिया।

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