तिरुवनंतपुरम, 26 अप्रैल (आईएएनएस)| कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ द्वारा केरल में सभी 20 लोकसभा सीटों पर जीत की उम्मीद जताने के बाद, सत्तारूढ़ माकपा ने कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा 18 सीटों पर जीत हासिल करेगा जबकि भाजपा का खाता भी नहीं खुलेगा।
वायनाड से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सीट और मलप्पुरम सीट को छोड़कर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा ने अन्य सभी सीटों पर जीत हासिल करने की उम्मीद जताई है।
माकपा नेतृत्व की बैठक के तुरंत बाद मीडिया से बात करते हुए पार्टी सचिव कोडिएरी बालाकृष्णन ने कहा कि 23 अप्रैल के मतदान के उनके विस्तृत विश्लेषणों से पता चलता है कि वाममोर्चा की एकतरफा जीत हो रही है।
बालाकृष्णन ने कहा, “भले ही भाजपा और कांग्रेस ने कम से कम पांच निर्वाचन क्षेत्रों में एक-दूसरे को वोटों का आदान-प्रदान किया हो लेकिन हम इससे उबरने में सफल रहे हैं। हमारे भरोसे की वजह यह है कि बहुसंख्यक समुदाय का वोट तीनों मोचरें में बंटा है जबकि अल्पसंख्यक समुदायों का भारी समर्थन हमें मिला है। यह 2004 की ही तरह हुआ है जब हमने लोकसभा चुनावों में 18 सीटें जीतीं थी।”
उन्होंने कहा, “पिछले चुनावों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि जब भाजपा का वोट प्रतिशत अधिक होता है तो वामपंथियों का इसका लाभ होता है। 2004 में, भाजपा को 12 प्रतिशत वोट मिले और हमें 18 सीटें मिलीं। 2009 में जब भाजपा ने 6.5 प्रतिशत हासिल किया, तो हमें कम सीटें (4) मिली। इस बार जबकि यह निश्चित है कि भाजपा कोई भी सीट नहीं जीतेगी, उसे अधिक वोट शेयर मिलेगा और यह हमारी मदद करेगा।”
बालाकृष्णन ने कहा कि राहुल गांधी का प्रभाव वायनाड तक सीमित था।
उन्होंने कहा, “राहुल केरल में बिल्कुल भी फैक्टर नहीं थे और भाजपा कोई भी सीट जीतने वाली नहीं है।”
इस बार केरल में 77.68 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2014 में 74.02 प्रतिशत मतदान हुआ था।
राज्य कांग्रेस के प्रमुख मुल्लापल्ली रामचंद्रन लगातार दूसरे दिन माकपा पर बरसे और कहा कि वह राजनीति छोड़ देंगे अगर यह साबित हो जाता है कि उनकी पार्टी और भाजपा के बीच गुप्त समझौता था।
उन्होंने कहा, “इस चुनाव में ऐसा हुआ है कि राज्य के लोगों ने, जिनमें अच्छी संख्या में कम्युनिस्ट वोटर भी थे, हमे वोट दिया है, क्योंकि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के अहंकार और अशिष्ट व्यवहार ने सारी हदें पार कर दी हैं।”