तिरुवनंतपुरम, 19 अगस्त (आईएएनएस)| राज्य में बाढ़ से जूझ रहे लाखों लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अभी तक केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) द्वारा मुख्यमंत्री के संकट राहत कोष (सीएमडीआरएफ) में पूरी राशि नहीं भेजी जा सकी है।
एक चौंकाने वाला रहस्योद्घाटन हुआ है, जिसमें पता चला है कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों द्वारा एकत्र किए गए 130 करोड़ रुपये में से अब तक महज 10 करोड़ रुपये ही जमा किए गए हैं। केएसईबी के अध्यक्ष एन. एस. पिल्लई ने सोमवार को इस बात को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि पैसा जल्द ही सीएमडीआरएफ को सौंप दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हमने केवल 10 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान किया है। यह नहीं भूलना चाहिए कि केएसईबी हमेशा वित्तीय संकट में होता है, क्योंकि हमें विभिन्न राज्य संचालित संगठनों से भारी बकाया प्राप्त करना होता है। हमें बाद में लगा कि हर महीने एक राशि देने के बजाय हमें एक ही बार में सारी राशि सौंप देनी चाहिए।” पिल्लई ने कहा कि हमने पहले भी बाढ़ राहत के लिए 50 करोड़ रुपये दिए थे।
पिछले अगस्त में केरल में शताब्दी की सबसे भयंकर बाढ़ आई थी। इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को उनके वेतन में से कुछ राशि काटकर इससे लोगों की मदद करने का फैसला किया था। इसमें खुद मुख्यमंत्री भी शामिल थे।
इस दौरान राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को लगातार 10 महीने तक हर महीने तीन दिन के वेतन का योगदान देने के लिए कहा गया। वेतन को जुटाने का काम सितंबर 2018 से शुरू होकर जून 2019 में समाप्त हुआ। एकत्र की गई कुल राशि 140 करोड़ रुपये थी। पिल्लई के बयान के अनुसार, 130 करोड़ रुपये की राशि अब तक सीएमडीआरएफ को सौंप दी जानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और पूर्व राज्य मंत्री तिरुवनचूर राधाकृष्णन ने मीडिया को बताया कि यह भ्रष्टाचार के अलावा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह राज्य के वित्तीय कोड प्रक्रियाओं के उल्लंघन का एक स्पष्ट मामला है।
राधाकृष्णन ने मांग करते हुए कहा कि सरकार द्वारा सीएमडीआरएफ पर एक श्वेत पत्र लाया जाना चाहिए।