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    केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों में भाजपा और आरएसएस ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया लेकिन लगता है इसका उसे कोई फायदा नहीं हुआ। केरल के निकाय उपचुनावों में अच्छी सफलता की उम्मीद कर रही भाजपा को जबरदस्त निराशा हाथ लगी है। भाजपा को ना सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा बल्कि अपनी एक जीती हुई सीट से भी हाथ धोना पड़ा।
    राज्य में 39 सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा केवल 2 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी जबकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की कोशिश के लिए अयप्पा भक्तों की नाराजगी झेल रही सत्ताधारी एलडीएफ ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 21 सीटें हासिल की जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को 11 सीटें मिली।
    इन चुनावों में भाजपा को सिर्फ अलापुज्जा जिले के दो पंचायत वादों में जीत नसीब हुई जबकि पत्तनामतिठा जहाँ सबरीमाला मंदिर स्थित है और जहाँ भाजपा ने विरोध प्रदर्शनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था वहां पार्टी तीसरे नंबर पर रही।
    इन उपचुनावों में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा। कांगेस -यूडीएफ गठबंधन की सीटें घट कर 16 से 11 हो गई। जबकि 3 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत हुई है।
    29 नवम्बर को केरल के 27 पंचायतों, 6 नगर पालिकाओं, 1 नगर निगम और 5 ब्लाक पंचायत में उपचुनाव कराये गए थे। सबरीमाला विवाद के बाद ये राज्य में पहला चुनाव था।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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