एक ऐतिहासिक निर्णय में बुधवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक पर बने कानून को मंजूरी दे दी है। इसमें मौखिक रूप से तलाक करने वाले मुश्लिम लोग अपराधी माने जायेंगे।
अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है, जिसके बाद यह पूरी तरह से कानून में लागु कर दिया जायेगा।
यह कानून लागु होने के बाद छह महिने के लिए खड़ा रहेगा, छह महीने बाद इसे विधानसभा की मंज़ूरी के लिए वापस लिया जायेगा। मार्च 2019 में छह महीने पुरे होंगे तथा वही समय चुनावो का भी होगा। कांग्रेस तथा बीजेपी दोनों ही इस मुद्दे पर ध्यान रखेंगी क्योकि इससे चुनावो पर भी काफी असर पड सकता है।
कांग्रेस ने बीजेपी के इस कदम के बारे बीजेपी की आलोचना की। कांग्रेस पर्वक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि बीजेपी इस मुद्दे को मुस्लिम औरतो के न्याय का मुद्दा न बनाकर राजनितिक मुद्दा बना रही है।
मीडिया से बात करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल का विरोध करने को पर कांग्रेस की निंदा की। तथा उन्होंने यह भी कहा कि पूरी भावना के साथ मेरा गंभीर आरोप है कि कांग्रेस पार्टी की लीडर एक महिला है तब भी इस बिल की निंदा की जा रही है।
निर्णय के एक महीने बाद सरकार ने इसमें कुछ सुरक्षा उपायों को भी मंजूरी दी थी। जैसे मुक़दमे से पहले आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान। सरकार मानसून सत्र के दौरान तथा बजट सत्र के दौरान ट्रिपल तलक बिल को पास करने में असमर्थ रही थी।
संसोधन के बाद कानून गैर जमानती रहेगा लेकिन वह जमानत मांगने के लिए जज से संपर्क कर सकता है। पुलिस स्टेशन से आरोपी की कोई जमानत नहीं होगी। यह कदम मुस्लिम पुरुषो में से डर हटाने के लिए उठाया गया है। इसमें यह भी संसोधन हुआ है कि जज पति और ओर पत्नी के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए अपनी पावर का भी इस्तेमाल कर सकता है।