केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राष्ट्रीय बाल भवन और गांधी स्मृति और दर्शन समिति, नई दिल्ली में कला उत्सव 2023 का उद्घाटन किया। शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी समारोह में उपस्थित थीं।
कार्यक्रम में प्रधान ने कहा कि कला उत्सव भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने और स्कूली छात्रों की रचनात्मक और कलात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) बच्चों की प्रतिभा और कौशल को निखारने, उनके सर्वांगीण विकास और उन्हें 21वीं सदी में नेतृत्वकारी भूमिका के लिए तैयार करने के लिए खेल-आधारित शिक्षा, खेल, कला, शिल्प और अन्य सभी रचनात्मक प्रयासों को मुख्यधारा में लाने पर जोर देती है।
प्रधान ने कहा कि कला उत्सव में पारंपरिक कला रूपों, खिलौनों और खेलों को शामिल करने से आगे बढ़ने और अगली पीढ़ी तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अगर कला को प्राथमिक शिक्षा के दौरान पेश किया जाए, तो यह बच्चों में अनुशासन पैदा करने में भी मदद करती है।
उन्होंने शिक्षा मंत्रालय से कला उत्सव को देश के सभी स्कूलों तक ले जाने के लिए आगे बढ़ने और समग्र स्वरूप में बच्चों की भागीदारी लाने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया। प्रधान ने कहा कि भारत के प्रत्येक बच्चे को उसकी रुचि और प्रतिभा के अनुसार व्यापक मंच देकर ही विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है।
कार्यक्रम में अन्नपूर्णा देवी ने एनईपी-2020 में कला-एकीकृत शिक्षा शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कला उत्सव में पारंपरिक कला रूपों, खिलौनों और खेलों को शामिल करने से आगे बढ़ने और अगली पीढ़ी तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति के लगभग 700 छात्र इन सभी विधाओं में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय कला उत्सव 2023 में 680 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। समापन समारोह 12 जनवरी, 2024 को आयोजित किया जाएगा, जहां पुरस्कार विजेता छात्रों को ट्रॉफी दी जाएंगी।