केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने तटीय अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई द्वारा संचालित और उपयोग किए जाने वाले एक तटीय अनुसंधान पोत सागर अन्वेषिका के भ्रमण के दौरान पहली “रोशनी” नाम के लानटेन का अनावरण किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेलाइन वाटर लालटेन से गरीब और वंचित लोगों विशेषकर भारत की 7,500 किमी तटीय रेखा से सटे इलाकों में रहने वाले मछुआरा समुदाय के लिए “जीवन सुगमता”आएगी।
डॉ. सिंह ने कहा कि सेलाइन वाटर लालटेन से 2015 में देश भर में एलईडी बल्बों के वितरण के लिए शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उजाला योजना को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि “रोशनी लैम्प” के साथ-साथ विद्युत मंत्रालय की सोलर ड्यूटी लैम्प्स जैसी योजनाओं का लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा पहुंच हासिल करना और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की कार्बन फुटप्रिंट कम करना है।
Saline water powered Roshini LED lamps will also boost and supplement Prime Minister Narendra Modi’s UJALA scheme: @DrJitendraSingh pic.twitter.com/aqHDD6rAdG
— PIB in Tamil Nadu (@pibchennai) August 13, 2022
डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि, “इस प्रौद्योगिकी को दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सकता है, जहां समुद्र का पानी उपलब्ध नहीं है क्योंकि किसी भी खारे पानी या सामान्य नमक के साथ मिश्रित पानी को लालटेन को रोशन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह न सिर्फ किफायती है, बल्कि इसे संचालित करना भी आसान है।”
केंद्रीय मंत्री ने रोशनी लैम्प के अविष्कार के लिए राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान की सराहना की और इस बहु उद्देश्यीय लैम्प के व्यापक उत्पादन के लिए इस प्रौद्योगिकी को उद्योग को हस्तांतरित करने की सलाह दी है। इससे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के साथ ही आपदा के दौर में पर्याप्त मदद मिल सकती है।
केंद्रीय मंत्री ने NIOT द्वारा समुद्री पानी को पीने योग्य जल में तब्दील करने के लिए विकसित लो टेम्प्रेचर थर्मल डिसैलिनेशन तकनीक की प्रगति की भी समीक्षा की, जिसका लक्षद्वीप आइलैंड्स में सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया जा चुका है।
उन्होंने बताया कि केंद्र शासित क्षेत्र लक्षद्वीप के कावारत्ती, अगाती और मिनीकॉय द्वीपों में लो टेम्प्रेचर थर्मल डिसैलिनेशन प्रौद्योगिकी पर आधारित तीन डिसैलिनेशन संयंत्रों को विकसित और उनका प्रदर्शन किया जा चुका है। इन लो टेम्प्रेचर थर्मल डिसैलिनेशन संयंत्रों में से हरेक की क्षमता प्रति दिन एक लाख लीटर पेयजल की है।