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    भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने सोमवार को आंध्र प्रदेश द्वारा तेलंगाना के खिलाफ दायर एक जल विवाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने की पेशकश की। जबकि असम-मणिपुर सीमा पर हिंसा भड़कने की पृष्ठभूमि में कहा कि दोनों राज्यों के लोग “भाई” हैं, जिन्हें एक दूसरे को नुकसान पहुँचाने का “सपना” भी नहीं देखना चाहिए।

    सीजेआई की टिप्पणी आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे द्वारा असम-मणिपुर हिंसा पर अप्रत्यक्ष रूप से दिए गए संकेत के जवाब में आई।

    मुख्य न्यायाधीश ने कर सकते मामले की सुनवाई

    सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि वह आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों से हैं। वह कानूनी रूप से मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। इसलिए मुख्य न्यायाधीश ने पार्टियों को एक विकल्प दिया। उन्होंने दोनों पक्षों को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘अगर आप मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाना चाहते हैं तो मैं इसे मध्यस्थता के लिए भेजूंगा। दूसरी ओर यदि आप चाहते हैं कि मामले पर फैसला सुनाया जाए या कानूनी रूप से सुनवाई की जाए तो मैं इसे दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करूंगा।

    जवाब के लिए माँगा समय

    दुष्यंत दवे ने कहा कि सीजेआई का सुझाव “बेहद निष्पक्ष” है। यह एक “राजनीतिक मुद्दा” है और इसलिए उन्होंने राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा।

    तेलंगाना के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि यह मुद्दा निष्फल हो गया है। केंद्र ने 15 जुलाई को गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्डों को तटस्थता बनाए रखने और दोनों राज्यों के बीच प्रभावी नदी जल प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए अधिसूचित किया है।

    वर्तमान याचिका का फोकस 28 जून, 2021 के तेलंगाना सरकार के आदेश पर है जिसमें कहा गया है कि “राज्य में अधिक जल विद्युत उत्पादन को टैप करने के लिए सरकार ने 100% स्थापित क्षमता तक जल विद्युत उत्पन्न करने का निर्णय लिया है।”

    यह मामला आंध्र प्रदेश की उस याचिका से संबंधित है जिसमें तेलंगाना पर अपने लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी के उनके वैध हिस्से से वंचित करने का आरोप लगाया गया है।

    मख्यमंत्री चंद्रशेखर राव अधिसूचनाओं से नाराज़

    वहीं कृष्णा और गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों के अधिकार क्षेत्र पर पिछले महीने की केंद्रीय गजट अधिसूचनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने सोमवार को कहा कि केंद्र इस मुद्दे पर तेलंगाना विरोधी रुख अपना रहा है।

    नागार्जुनसागर विधानसभा क्षेत्र विकास समीक्षा के हिस्से के रूप में नलगोंडा जिले के हलिया कृषि बाजार यार्ड में नेताओं और स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार कृष्णा नदी में अनधिकृत परियोजनाओं का निर्माण करके तेलंगाना पर अधिकार करने की कोशिश कर रही थी।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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