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    विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया

    बजरंग पुनिया और विनेश फोगट ने ऐतिहासिक पदकों के साथ सुपरस्टारडम हासिल किया, लेकिन इससे पहले इतिहास रचने वाले दो रेसलिंग खिलाड़ियो के लिए यह साल अच्छा नही रहा जिसमें सुशील कुमार और साक्षी मलिक का नाम शामिल है। यह दोनो खिलाड़ी इससे पहले अपने नाम ओलंपिक मेडल कर चुके है लेकिन इस साल वह लय में नजर नही आए। साल 2018 खत्म होने से पहले पहलवानो के लिए अच्छी खबर भी सामने आयी है जिसमें 150 खिलाड़ियो को अनुबंध प्रणाली के अंदर चुना गया है। इससे पहले कभी पहलवानो को महासंघ से केंद्रीय अनुबंध नही मिला है।

    इस पूरे साल बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने पदक ही अपने नाम नही किए बल्कि वह अपने हर मैच में अच्छा प्रदर्शन करने में भी कामयाब रहे है।

    यह बस उनके मेडल जीतने की ही बात नही है, लेकिन जिस तरह से उन्होने अपना खेल दिखाया है उन्होने 2020 टोक्यो ओलंपिंक में दो स्वर्ण पदको के लिए भारतीय प्रशंसको की उम्मीद जगा दी है।

    यह साल भारत के दो पहलवान खिलाड़ी सुशील कुमार और साक्षी मलिक के लिए बहतर नही रहा। सुशील कुमार देश के पहले से रेसलिंग खिलाड़ी है जिनके पास दो ओलंपिक मेडल है, वही साक्षी मलिक जो कि पहली ऐसी महिला रेस्लर है जो ओलंपिक मे देश के लिए मेडल जीत के लायी थी। लेकिन इन दोनो के लिए यह साल निराशाजनक रहा।

    सुशील ने इस साल गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलो में स्वर्ण पदक जीता, लेकिन उनके सामने उस समय कोई उन्हे टक्कर देना वाला खिलाड़ी नही था।

    साक्षी राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलो में भी इस साल अपनी छाप छोड़ने में नाकाम रही और उन्हे राष्ट्रमंडल खेलो में भी कांस्य पदक से संतुष्टी करनी पड़ी। 26 साल की इस पहलवान का मानना है कि उनको आगे के मैचो के लिए मानसिक रुप से भी मजबूत होने की जरूरत है।

    वही पहलवान सुशील कुमार, एशियाई खेल के अपने पहले मुकाबले में बाहर हो गए था और वह अभी भी यह नही मानते है कि उनके खेल में कोई कमी आयी है। वह अपनी ताकत का जोर अब 2020 टोक्यो ओलंपिक में लगाना चाहते है और साबित करना चाहते है कि उनके खेल में अभी कुछ नही बदला है।

    इस साल बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने राष्ट्रमंडल खेलों के बाद एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किए और उनके लिए यह साल बहुत शानदार रहा। रेस्लिंग जैसे खेल में एशियाई खिलाड़ियो का पूरे देश में दबदबा माना जाता है तो ऐसे में एशियाई खेल में स्वर्ण पदक जीतन बहुत गौरव की बात है। विनेश फोगाट चोट के कारण इस साल विश्वचैंपियनशिप में हिस्सा नही ले पायी तो वही बजरंग ने इस टूर्नामेंट में भी अपने नाम रजत पदक दर्ज किया था। वह भारत के ऐसे पहलवान खिलाड़ी रहे है जो इस साल हर टूर्नामेंट में पदक लेकर आए है।

    फोगाट बहनो की बात करे तो ऋतु, संगीता, बबीता और गीता के लिए भी यह साल शानदार नही रहे। लेकिन जो एक नयी खिलाड़ी ने इस साल कुश्ती में पहचान बनाई है वह पूजा ढांडा है। पहले राष्ट्रमंडल खेलो मे स्वर्ण पदक जीतने के बाद ढांडा ने विश्न चैंपियनशिप में भी अपने नाम कांस्य पदक किया था। वह भारत की ऐसा करने वाली चौथी महिला खिलाड़ी बनी है।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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