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    मनोरंजन जगत में सितारों की जिंदगी हमेशा चकाचौंध से भरी रहती है, लेकिन इसका एक और पहलू भी है। अकसर सितारों को उनके काम की चिंता सताती रहती है, क्योंकि यह पेशा अपने साथ में अनिश्चितता भरा होता है। ऐसे में यह चिंता कई बार अवसाद का रूप ले लेती है, जिसका अंत आत्महत्या के साथ होता है। मुंबई में अपने घर में अभिनेता कुशल पंजाबी का फांसी से लटककर अपनी जान देना एक ऐसी खबर है, जिसने लोगों को हैरान कर दिया है।

    अभिनेता करणवीर बोहरा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “तुम्हारे इस कदर जाने की खबर ने मुझे अंदर से झकझोर कर रख दिया है। मुझे अभी यकीन नहीं हो रहा है। मुझे पता है कि तुम एक खुशहाल जगह पर हो, लेकिन यह स्वीकारने लायक नहीं है। तुमने जिस तरह से अपनी जिंदगी जी है, उससे मैं कई तरीकों से बहुत प्रेरित हुआ हूं, लेकिन मुझे भला क्या पता था।”

    अभिनेता करण पटेल ने इस बारे में लिखा, “लगता है कि यह बात सच ही है एक हंसते-खिलखिलखिलाते चेहरे के पीछे ही सबसे अधिक गमगीन दिल होता है। आपको हमेशा जिंदादिली के साथ जिंदगी को जीते हुए देखा, कभी नहीं सोचा था कि आप इस तरह से जिंदगी को अलविदा कह देंगे।”

    कुशल की आत्महत्या की खबर से सेलेब्रिटीज में अवसाद के होने की बात फिर से सामने आई है। लोगों का मनोरंजन करने वाले ये कलाकार अपनी निंजी जिंदगी में तमाम परेशानियों से घिरे रहते हैं। वे इसका जिक्र खुलकर नहीं कर पाते हैं और इससे परे जाकर कैमरे के सामने हंसते-खिलखिलाते हुए पोज देते हैं। यह इस कहावत को सच करते दिखाई देती है कि “हर चमकती हुई चीज सोना नहीं होती है।”

    सितारे अपने काम में इस कदर व्यस्त होते हैं कि उन्हें यह अहसास ही नहीं हो पाता है कि वे मानसिक अवसाद से घिर चुके हैं, जिसके चलते वे सामान्य जिंदगी से कहीं दूर चले जाते हैं।

    इसी मानसिक बीमारी के चलते छोटे व बड़े पर्दे के कई कलाकारों ने अपनी जान दे दी है।

    इस सूची में अभिनेत्री जिया खान, प्रत्यूषा बनर्जी, मॉडल नफीसा जोसेफ, विवेका बाबाजी, कुलजीत रंधावा जैसे कई नाम शामिल हैं।

    तेलुगू स्टार नागा झांसी ने भी काम की कमी, आर्थिक परेशानी से तंग आकर अपनी जान दे दी थी। बॉलीवुड डांसर अभिजीत शिंदे ने भी अवसाद के चलते सुसाइड कर लिया था।

    अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने भी मानसिक बीमारी के साथ अपने संघर्ष के दिनों के बारे में खुलकर बात की है। आलिया भट्ट की बहन शाहीन ने भी अपनी किताब में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारी के साथ अपने संघर्ष का जिक्र किया है। अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा ने भी अपने डिप्रेशन के दौर का खुलासा किया है, लेकिन क्या इतना ही काफी है?

    मनोचिकित्सक समीर पारेख ने आईएएनएस से कहा, “आज के जमाने में भी लोग इस बारे में बात करने से हिचकिचाते हैं। इससे जूझ रहे लोग दिमाग में कई तरह की बातों को लेकर चलते हैं, लेकिन हिचकिचाहट के कारण वे इसका खुलकर जिक्र नहीं कर पाते हैं। इस बारे में आज भी कुछ पुराने रूढ़िगत विचार पनप रहे हैं, स्थिति बेहतर हो रही है, लेकिन मानसिक बीमारी को लेकर पुराने विचार आज भी बरकरार है। इसके बाद इसे समझकर किसी मनोचिकित्सक के पास जाना भी एक मुद्दा है।”

    सोशल मीडिया किसी के मानसिक स्वास्थ्य का आईना नहीं है।

    उन्होंने आगे कहा, “कोई इंसान अपनी जिंदगी में हो रही अच्छी चीजों के बारे में ही पोस्ट करता है। सोशल मीडिया में पोस्ट को देखकर यह कोई नहीं जान पाएगा कि आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं।”

    पारेख ने यह भी कहा, “हम एक ऐसा माहौल नहीं बना पाए हैं, जहां लोग इसके बारे में सहजता से खुलकर बात कर सकें। हम कहते हैं कि ‘उसने बात नहीं करी’, लेकिन हम यह नहीं समझते कि ‘हमने उसको यह महसूस कराया है कि वह मानसिक बीमारी पर बात कर सके बिना किसी झिझक के।”‘

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