अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत कुलभूषण जाधव के मामले पर बुधवार को अपने फैसला सुना सकती है। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने आतंकवाद और जासूसी के मामले में फांसी की सज़ा दी थी। मार्च 2016 से भारत ने निरंतर जाधव तक राजनयिक पंहुच की मांग की थी। इस दौरान ही पाकिस्तान विभाग ने भारत के उच्चायोग को जाधव की हिरासत की सूचना दी थी।
जानबूझकर हत्या की साजिश
11 अप्रैल 2017 को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में दोहराया था कि “कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने मनगढ़ंत आरोप में मौत की सजा दी है, मैं दोहराती हूँ मनगढ़ंत के आरोप में दी है। इस मामले में हमारी स्थिति स्पष्ट है। जाधव द्वारा कोई भी गलत कार्य किये जाने का कोई सबूत नहीं है। अगर कुछ है तो जाधव पाकिस्तान की साजिश का मोहरा है , जिससे वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का खुद के आतंकवाद के समर्थन के ध्यान क भटकना चाहता है।”
उन्होंने कहा कि “इन हालतों में अगर सजा होती है तो हम इसे जानबूझकर की गयी हत्या करार देंगे।” इस फैसले को आईसीजे के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्कावी अहमद युसूफ हेग में स्थित शान्ति पैलेस में पढेंगे।” मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पक्ष का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी दीपक मित्तल और अधिकारी करेंगे।
पाकिस्तानी कानूनी टीम मंगलवार को नीदरलैंड के हेग में पंहुच गयी है। इस टीम की अध्यक्षता पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान कर रहे हैं और इसमें विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल भी शामिल है।
48 वर्षीय पूर्व नौसैन्य अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने 11 अप्रैल 2017 में सजा ए मौत का दंड दिया था। जाधव पर जासूसी के आरोप थे।
पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने आईसीजे के दरवाजे खटखटाये थे क्योंकि इस्लामाबाद ने इस मामले में राजनयिक पंहुच न देकर साल 1963 की वियना संधि का उल्लंघन किया था। 18 मई 2017 को आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई तक जाधव को मृत्युदंड न देने का हुक्म दिया था।