ईरान के शीर्ष राजनयिक जावेद जरीफ ने अपने तुर्की के समकक्षी मेव्लुट कावुसोग्लू से फ़ोन पर बातचीत की थी और कहा कि तेहरान सीरिया में सैन्य कार्रवाई के खिलाफ है। जरीफ ने सोमवार को बयान दिया कि “सैन्य कार्रवाई का हम विरोध करते हैं और सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करने का आग्रह करते हैं।”
ईरानी विदेश मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ जंग की जरुरत पर जोर दिया है और सीरिया में स्थिरता और सुरक्षा की स्थापना पर जोर दिया है। राष्ट्रपति रिचप तैयाब एर्दोगन ने सोमवार को कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तुर्की को हरी झंडी दिखाई थी इसके बाद ही अंकारा ने कुर्दिश सेना के खिलाफ उत्तरी सीरिया में सैन्य अभियान को अंजाम दिया था।”
सीरिया से अमेरिकी सैनिको की वापसी के ट्रम्प के निर्णय की अमेरिका में भरसक आलोचना की जा रही है। वांशिगटन के दो सहयोगियों ने ही उन पर कुर्दस को पीठ दिखाने का आरोप लगाया है। इस समूह ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट समूह के खिलाफ अमेरिकी समर्थित अभियान में भरी हताहत की थी।
फ़ोन कॉल पर जरीफ ने कावुसोग्लू ने कहा कि ” सीरिया और तुर्की के लिए अडाना समझौते सबसे बेहतरीन विकल्प है और इससे चिंताओं को बताया जा सकता है।” अंकारा और डमस्कस ने साल 1998 में तनाव को कम करने के लिए समझौते पर दस्तखत किये थे।
उन्होंने तुर्की के कुरदीश नेता अब्दल्लाह ओकालन को अपनी सरजमीं से निष्काषित नहीं करने पर सीरिया को सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दी थी। कावुसोग्लू ने कहा कि “उत्तरीपूर्वी सीरिया में तुर्की का सैन्य अभियान अस्थायी हो सकता है।”
एर्दोगन ने सीरिया के सीमा इलाको को साफ़ करने की अंकारा की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया था। तुर्की के मुताबिक, वाईपीजी कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी के आतंकवादी शाखा है। इन इलाको से इस्लामिक स्टेट का सफाया करने के लिए अमेरिका कुर्द सेना के साथ काफी करीबी से कार्य कर रहा है।