Tue. Dec 24th, 2024

    भारत के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली का शुभ आरंभ धनतेरस से होता है, धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं श्री गणेश की पूजा-आरती प्रमुखता से की जाती है।

    ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,
    स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
    शरण पड़े भगतों के,
    भण्डार कुबेर भरे।
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
    स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
    दैत्य दानव मानव से,
    कई-कई युद्ध लड़े ॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    स्वर्ण सिंहासन बैठे,
    सिर पर छत्र फिरे,
    स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
    योगिनी मंगल गावैं,
    सब जय जय कार करैं॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    गदा त्रिशूल हाथ में,
    शस्त्र बहुत धरे,
    स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
    दुख भय संकट मोचन,
    धनुष टंकार करें॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
    स्वामी व्यंजन बहुत बने।
    मोहन भोग लगावैं,
    साथ में उड़द चने॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    बल बुद्धि विद्या दाता,
    हम तेरी शरण पड़े,
    स्वामी हम तेरी शरण पड़े,
    अपने भक्त जनों के,
    सारे काम संवारे॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    मुकुट मणी की शोभा,
    मोतियन हार गले,
    स्वामी मोतियन हार गले।
    अगर कपूर की बाती,
    घी की जोत जले॥
    ॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥

    यक्ष कुबेर जी की आरती,
    जो कोई नर गावे,
    स्वामी जो कोई नर गावे ।
    कहत प्रेमपाल स्वामी,
    मनवांछित फल पावे।
    ॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

    कुबेर आरती का अंग्रेजी में lyrics

    Om Jai Yaksh Kuber Hare,
    Swami Jai Yaksh Kuber Hare।
    Sharan Pade Bhagato Ke,
    Bhandar kuber Bhare॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Shiv Bhakto Me Bhakt Kuber Bade,
    Swami Bhakta Kuber Bade ।
    Daitya Danav Manav Se,
    Kai-Kai Yuddh Lade ॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Swarn Sinhasan Baithe,
    Sir Par Chhatra Phire,
    Swami Sir Par Chhatra Phire ।
    Yogini Mangal Gavain,
    Sab Jai Jai Kar Karain ॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Gada Trishul Hath Me,
    Shastra Bahut Dhare,
    Swami Shastra Bahut Dhare ।
    Sukh Bhay Sankat Mochan,
    Dhanush Tankar Bhare ॥
    ॥Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Bhanti Bhanti Ke Vyanjan Bahut Bane,
    Swami Vyanjan Bahut Bane ।
    Mohan Bhog Lagavain,
    Sath Me Urad Chane ॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Bal Buddhi Vidya Data,
    Ham Teri Sharan Pade,
    Swami Ham Teri Sharan Pade|
    Apane Bhakt Jano Ke,
    Sare Kam Sanvare ॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Mukut Mani Ki Shobhaa,
    Motiyan Haar Gale,
    Swami Motiyan Haar Gale ।
    Agar Kapur Ki Baati,
    Ghee Ki Jot Jale ॥
    ॥Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Yaksha Kuber Ki Aarati Jo Koi Nar Gaave,
    Swami Jo Koi Nar Gaave ।
    Kahat Prempaal Swami,
    Manavaanchhit Phal Paave ।
    ॥Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Mukut Mani Ki Shobha,
    Motiyan Haar Gale,
    Swami Motiyan Haar Gale ।
    Agar Kapur Ki Bati,
    Ghee Ki Jot Jale ॥
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    Yaksha Kuber Ki Aarti,
    Jo Koi Nar Gave,
    Swami Jo Koi Nar Gave ।
    Kahat Prempal Swami,
    Manavanchhit Phal Pave ।
    ॥ Om Jai Yaksh Kuber Hare…॥

    ॥ Eti Shri Kuber Aarti ॥

    कुबेर महाराज के बारे में जानकारी

    कुबेर एक हिन्दू पौराणिक पात्र हैं जो धन के स्वामी (धनेश) व धनवानता के देवता माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं।

    रामायण में कुबेर भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिखायी पड़े। कुबेर ने अत्यंत सात्त्विक भाव से पार्वती की ओर बायें नेत्र से देखा। पार्वती के दिव्य तेज से वह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया। कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चला गया। वह घोर तप या तो शिव ने किया था या फिर कुबेर ने किया, अन्य कोई भी देवता उसे पूर्ण रूप से संपन्न नहीं कर पाया था। कुबेर से प्रसन्न होकर शिव ने कहा-‘तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है। तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, अत: तुम एकाक्षीपिंगल कहलाओंगे।

    कुबेर ने रावण के अनेक अत्याचारों के विषय में जाना तो अपने एक दूत को रावण के पास भेजा। दूत ने कुबेर का संदेश दिया कि रावण अधर्म के क्रूर कार्यों को छोड़ दे। रावण के नंदनवन उजाड़ने के कारण सब देवता उसके शत्रु बन गये हैं। रावण ने क्रुद्ध होकर उस दूत को अपनी खड्ग से काटकर राक्षसों को भक्षणार्थ दे दिया। कुबेर का यह सब जानकर बहुत बुरा लगा। रावण तथा राक्षसों का कुबेर तथा यक्षों से युद्ध हुआ। यक्ष बल से लड़ते थे और राक्षस माया से, अत: राक्षस विजयी हुए। रावण ने माया से अनेक रूप धारण किये तथा कुबेर के सिर पर प्रहार करके उसे घायल कर दिया और बलात उसका पुष्पक विमान ले लिया।

    विश्वश्रवा की दो पत्नियां थीं। पुत्रों में कुबेर सबसे बड़े थे। शेष रावण, कुंभकर्ण और विभीषण सौतेले भाई थे। उन्होंने अपनी मां से प्रेरणा पाकर कुबेर का पुष्पक विमान लेकर लंका पुरी तथा समस्त संपत्ति छीन ली। कुबेर अपने पितामह के पास गये। उनकी प्रेरणा से कुबेर ने शिवाराधना की। फलस्वरूप उन्हें ‘धनपाल’ की पदवी, पत्नी और पुत्र का लाभ हुआ। गौतमी के तट का वह स्थल धनदतीर्थ नाम से विख्यात है।

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    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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