किसान आंदोलन पर सरकार और किसान नेताओं के बीच आठवें दौर की बातचीत आज होनी थी। यह बैठक फिर बेनतीजा रही है। अब अगली बैठक 15 जनवरी को होनी तय हुई है। इससे पहले 7 चरणों की बैठक में भी कोई खास नतीजे नहीं निकले थे। किसानों के 4 में से 2 मांगों को दूसरी बैठकों में मान लिया गया था, लेकिन बची हुई 2 मांगों के लिए बैठक आज होनी तय हुई थी, जिसमें कोई नतीजा नहीं निकला है।
किसान अपने रुख को लेकर स्पष्ट हैं कि वे बिल को वापस किए बिना आंदोलन खत्म करने वाले नहीं है। वहीं सरकार ने कहा है कि बिल निरस्त करने के अलावा हर विकल्प पर सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। किसानों का यह अड़ियल रवैया अब संदेह पैदा कर रहा है। इतने दिनों से जारी इस आंदोलन के चलते बहुत से नागरिकों को आवाजाही में परेशानी हो रही है साथ ही और भी कई सारी समस्याएं आंदोलन के कारण उत्पन्न हो रही हैं।
इस आंदोलन राजनीति की रोटियां भी खूब सेकी जा रही हैं। वहीं गुरुवार को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति प्रदर्शन किया था। उन्होंने सरकार के प्रति विरोध जताने के उद्देश्य से यह प्रदर्शन रखा था। इसमें उन्होंने ट्रैक्टर से दिल्ली के लगभग सभी बॉर्डरों पर रैली निकाली थी।
इस आंदोलन को डेढ़ महीना पूरा हो चुका है। किसान सरकार पर आंदोलन खत्म कराने की मंशा ना होने का आरोप भी लगा चुके हैं। अब किसानों का मन बहस करने को भी नहीं है और वे अपनी जिद पर भी अड़े हैं। किसानों की जिद है कि इस बिल को निरस्त कर दिया जाए। इसी बीच बहुत से किसान अपनी अपनी तरह से प्रदर्शन करते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ दिन पहले हरियाणा के रेवाड़ी में भी किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी जिसमें कुछ किसानों को हल्की-फुल्की चोटें आई थीं। इस तरह की और भी गतिविधियां आंदोलन की आड़ में की जा रही है।
अच्छी बात! लिखना बंद मत करो