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    किसान एक महीने से ज्यादा वक्त से सड़कों पर बैठे हैं। किसानों की शर्तें व सरकार की कोशिशें पूरी नहीं हो पा रही हैं। किसान बिल वापस लेने समेत कुछ मांगे लेकर बैठे हैं और सरकार बिल में संशोधन व बातचीत से समाधान निकालने के पक्ष में है। पहले भी सरकार ने किसानों से कई बार वार्ता की, लेकिन वो सब बेनतीजा रही। अब आखिरकार इस मीटिंग में किसानों और सरकार के बीच कोई सहमति बनती दिख रही है।

    उम्मीद की जा रही है कि इस मीटिंग में कोई प्रभावशाली समाधान निकाला जा सकता है। पहले ये मीटिंग 29 तारीख को होनी तय हुई थी। लेकिन किसी कारणवश अब 30 दिसंबर को होगी। इसके लिए सरकार ने 40 किसान संगठनों को बुलाया है। इसी बीच प्रधानमंत्री व अन्य नेता भी किसानों के हित में और बिल के समर्थन में बयान देते रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात भी की लेकिन किसानों ने उसका बहिष्कार किया।

    30 दिसम्बर को होने वाली मीटिंग के तीन मुख्य मुद्दे होंगे। कृषि कानूनों को वापस लेना, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप प्रदान करना और विद्युत संशोधन विधेयक में किसानों को शामिल न करने जैसी मांगों पर चर्चा होने वाली है। पिछली पांच बैठकें बेनतीजा रहने के बाद इस बैठक में कोई हल निकाले जाने की उम्मीद जताई जा रही है।

    पिछले एक महीने से किसानों ने दिल्ली के सभी बड़े बॉर्डर बन्द किये हुए हैं। आम लोगों को इसकी वजह से काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वाहनों को रूट डायवर्जन कर के जाना पड़ रहा है साथ ही घंटों लम्बे जाम से भी जूझना पड़ रहा है। सरकार का कहना है कि किसानों को विपक्ष भड़का रहा है। वहीं किसानों का केन्द्र सरकार के प्रति गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है। उम्मीद है कि 30 तारीख की मीटिंग के बाद इन समस्याओं का कोई समाधान निकाला जा सकता है।

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