विधानसभा चुनाव के नतीजे एवं बीजेपी की बड़ी हार
हाल ही में पांच राज्यों नामतः मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेल्नागाना, मिज़ोरम एवं छत्तीसगढ़ के चुनाव के परिणाम घोषित किये गए हैं। इनमे से तीन राज्यों में कांग्रेस ने एक में TRS ने एवं बचे एक राज्य में MNF ने चुनाव जीते।
ये परिमाण बीजेपी के लिए एक बुरी खबर साबित हुए। पांच राज्यों में से बीजेपी कोई एक राज्य के चुनाव भी नहीं जीत पाई। इन विधानसभा चुनावों का 2019 के चुनावों पर निश्चित असर होने वाला यह सभी राजनितिक पार्टियां जानती हैं। बीजेपी के सदस्य इसी उधेड़बुन में हैं की ऐसे क्या कारक थे जिनके चलते वे एक भी राज्य के विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए।
बीजेपी के मात खाने के कुछ संभव कारण
किसानो पर संकट
पूरे देश के किसानों की आय के साथ खिलवाड़ हुआ है जिससे किसान खुश नहीं हैं एवम उनका विरोध साफ़ दिखाई दे रहा है। इसके बावजूद भी केंद्रीय कृषि मंत्री ने इन सभी विरोधों को केवल एक राजनितिक नाटक बताकर किसानों को आहत कर दिया।
उपाय :
अभी तक किसानों को बहुत नज़रअंदाज़ किया जा चुका है एवं अगर बीजेपी ऐसा करती है तो यह सीधे 2019 के संसदीय चुनावों में भारी नुक्सान पहुंचा सकता है अतः मोदी सरकार की इसी में भलाई होगी की किसानों पर आये संकट को समझे एवं इसे दूर करने का भरसक प्रयास करें।
MSP का खेल
हाल ही में बीजेपी ने किसानों का संकट दूर करने के लिए जो योजना पेश की है वह है खरीफ फसलों के MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को A2 + FL के 50 प्रतिशत मार्जिन पर घोषित करना है। लेकिन जैसा कि हमने हाल ही के बाजारों में देखा है की कि वहां फसलों की कीमत MSP से काफी नीचे रह जाती है। ऐसी फसलें जिनमें MSP घोषित होती है उनमे से 23 फसलें तो ऐसी हैं जिनकी बड़ी मात्र खरीदने में सरकार अक्षम है।
उपाय :
अतः यह केवल बीजेपी ही नहीं बल्कि कांग्रेस एवं सभी कृषि संघों के लिए एक सबक है। केवल ऊंचा MSP एवं A2 जैसे योजनाएं पेश करने से किसानों का भला होने वाला नहीं है। किसानों की पैदावार के अनुरूप खरीद, उचित तरीकों से भंडारण एवं एक पक्का वितरण तंत्र बनाए बिना ना ही MSP जैसी योजनाएं काम करेंगी नाही ही किसानों की समस्याओं का निवारण होगा।
किसानों का समर्थन वापस पाने के उपाय :
बीजेपी नेता तेलंगाना सरकार से क्या सीख सकते हैं ?
हम एक ठोस उदाहरण के लिए तेलंगाना की रयथू बंधु योजना ले सकते हैं। यहाँ किसानों को बुवाई के मौसम से पहले ही निवेश समर्थन के रूप में 4000 रूपए प्रति एकड़ भूमि के मिल जाते हैं। किसान इस रकम से बीज, उर्वरक, कीटनाशकों, आदि को अनौपचारिक स्रोतों से अत्यधिक ब्याज दरों पर उधार लेने के बजाय खरीद सकते हैं। यदि किसी मौसम में उनकी फसल खराब हो जाए तो यह उन्हें ऋण जाल में फसने से बचा लेता है।
इस योजना के लिए राज्य ने 12,000 करोड़ रूपए बजट रखा था, जो कि राज्य के कुल बजट का 7% से कम है।
अतः राजनेताओं को MSP जैसी योजनाएं छोड़कर किसानों को निवेश समर्थन देने के बारे में सोचना चाहिए। एक ऐसा तंत्र बनाना होगा जिससे ये पैसे आधार कार्ड से जुड़े बैंक खातों में चले जाएँ एवं फ़ोन में sms के माध्यम से किसानों को जानकारी हो जाए।
अगर ऐसा किया जाए तो यह एक अच्छा अर्थशाश्त्र एवं अच्छी राजनीति सिद्ध हो सकती है।