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    किसान आंदोलन की आग तेज है और इसमें सभी राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। इसी बहस में अब पूर्व जज मार्कंडेय काटजू भी कूद पड़े हैं। उन्होंने सरकार को किसानों का धरना खत्म करवाने के लिए  सुझावों के साथ एक चिट्ठी लिखी है। मार्कंडेय काटजू सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रहे हैं और हमेशा से अपने विवादित या हास्यास्पद ट्वीट्स के चलते चर्चा में रहते हैं।

    मार्कंडेय काटजू ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि किसान आंदोलन की समस्या है एक गतिरोध पर आकर पहुंच चुकी है। किसानों का सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को ठुकराना इस बात का स्पष्ट इशारा है कि बिना कानून वापस लिए गए वे प्रदर्शन स्थल से नहीं उठेंगे। इसका सीधा सा अर्थ है कि आंदोलन कानून वापसी तक खत्म नहीं होगा।

    मार्कंडेय काटजू ने सरकार को सुझाव दिया है कि जब किसानों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को ठुकरा दिया है तो उसके बाद सरकार को तुरंत ये कानून वापस ले लेने चाहिए। सरकार को हाई पावर किसान कमीशन गठित करनी चाहिए। सरकार को किसानों के प्रतिनिधियों व किसान संगठन प्रमुखों के साथ मिलकर एक उच्च शक्तिशाली आयोग की नियुक्ति करनी चाहिए जो किसानों के हितों को ध्यान में रखकर काम करे। उसके बाद एक व्यापक और बेहतर कानून बनाया जाना चाहिए।

    मार्कंडेय काटजू ने 26 जनवरी को हिंसा का अंदेशा भी जताया है। किसान 26 जनवरी पर अपना ट्रैक्टर मार्च निकालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यदि उन्हें अनुमति नहीं दी जाती तो वे ज़बरदस्ती रैली निकालेंगे और इसके परिणाम स्वरूप सुरक्षाबलों को कार्यवाही करनी होगी। जिससे हिंसा भड़क सकती है। इससे बचने के लिए मार्कंडेय काटजू ने उपाय बताया है कि सरकार को तुरंत ही यह कानून रद्द कर देना चाहिए और सरकार को अपनी गलती माननी चाहिए। इससे सरकार की सराहना ही होगी। उनके इस बयान पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया आती है यह देखना अभी बाकी है।

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