उत्तर कोरिया ने नेता किम जोंग उन बुधवार को रूस की यात्रा पर पँहुच चुके हैं और उन्होंने रुसी राष्ट्रपति के साथ व्लदीवोस्तक में मुलाकात की थी। रूस के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच कोरियाई प्रायद्वीप की परमाणु समस्या पर चर्चा होगी लेकिन अमेरिका से बातचीत ठप होने के बाद उत्तर कोरिया रूस से मदद मांग सकती है।
किम जोंग उन और व्लादिमीर पुतिन के बीचक कैंपस कॉलेज में मुलाकात हुई थी इसके कारण कॉलेज की छुट्टी दी गयी इसके बावजूद कुछ छात्र नेता को देखने के लिए कॉलेज परिसर में एकत्रित हुए थे। अमेरिका के राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के नेता केबीच मुलाकात फरवरी में हनोई में हुई थी।
डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच दूसरा शिखर सम्मेलन बगैर किसी समझौते के रद्द कर दिया गया था। शुरुआत भाषण में रूस और उत्तर कोरिया ने ऐतिहासिक रिश्तो पर बातचीत की थी। रुसी राष्ट्रपति ने कहा कि वह पियोंगयांग में उपजे तनाव को कम करने की इच्छा रखते हैं।
Kim Jong Un has just arrived at the venue for the talks with Putin. The two shook hands and entered the building together. pic.twitter.com/ZzhOxRyiJv
— Will Vernon (@BBCWillVernon) April 25, 2019
व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि “मुझे यकीन है कि आपकी इस यात्रा से कोरियाई प्रायद्वीप के हालातो को सुधारने के समाधान को ढूंढ सकेंगे। रूस किस प्रकार आपका सहयोग कर सकता है।” वही किम जोंग उन ने कहा कि “ऐतिहासिक रिश्तो वाले दोनों देशों के बीच यह मुलाकात यक़ीनन सफल साबित होगी।” रूस ने किम का बैंड से साथ स्वागत किया था जिसके बाद वह गाड़ी में रावण हो गये थे।
रुसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता ने कहा कि “रूस के मुताबिक सिक्स पार्टी टॉल्क यानी छह पक्षों की बातचीत के जरिये ही इस मसले का समाधान निकल सकता है। साल 2003 में शुरू हुई बातचीत में दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, चीन, जापान, रूस और अमेरिका शामिल था।
उन्होंने कहा कि “इस समय इसके आलावा कोई अन्य बेहतर अंतर्राष्ट्रीय विकल्प मौजूद नहीं है। दूसरे देश कई तरह की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह प्रयास तभी सफल होंगे जब कोई वाकई दोनों कोरियाई देशों के बीच सुलह और परमाणु निरस्त्रीकरण करवाना चाहता हो।”
विश्लेषकों के मुताबिक, इस सम्मेलन में रूस यह जताने की कोशिश करेगा कि उसकी भी उत्तर कोरिया में महत्वपूर्ण भूमिका हैं। राष्ट्रपति पुतिन काफी समय से उत्तर कोरिया के नेता के साथ मुलाकात करना चाहता हूँ। अमेरिका और चीन के साथ ही रूस भी उत्तर कोरिया के परमाणु संपन्न होने से खतरा महसूस करता है।
साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर कोरिया और रूस के बीच कारोबारी सम्बन्ध काफी कमजोर हो गए थे। उन्होंने सोवियत के दौरान लिया उत्तर कोरिया का अधिकतर कर्ज क्षमा कर दिया था।