मोदी सरकार नोटबंदी से लेकर अब तक कालेधन को लेकर कई निर्णायक कदम उठा चुकी है। आप को जानकारी के लिए बता दें कि मोदी सरकार ने देश की करीब 2.24 लाख कंपनियों को बंद कर दिया है जो कारोबार नहीें केवल कालेधन को सफेद बनाने का काम कर रही थीं। सरकार ने इन कंपनियों से जुड़े करीब तीन लाख निदेशकों को अयोग्य करार ठहराया है।
इनमें से अधिक से अधिक कंपनियों को शेल कंपनियों के रूप में संदिग्ध माना गया है। कार्पोरेट से जुड़े मंत्रालय ने इन सभी कंपनियों द्वारा नोटबंदी के दौरान जमा की गई धनराशि की जानकारी बैंकों से उपलब्ध कराने की बात कही है। गौरतलब है कि कुल 35000 कंपनियों के माध्यम से करीब 17,000 करोड़ रूपए की बड़ी धनराशि 58000 बैंक अकाउंटस के माध्यम से जमा कराई गई थी।
मीडिया खबरों के अनुसार इन उपरोक्त कंपनियों में एक कंपनी ऐसी है जिसके खाते में 8 नवंबर तक कुछ भी बैलेंस नहीं था लेकिन नोटबंदी के बाद इसमें 2484 करोड़ रूपए जमा कराए गए और निकाले भी गए। अब सवाल ये उठता है कि जीरो बैलेंस वाले इस अकाउंटस में करोड़ों की धनराशि कहां से आई। इस नायाब कंपनी की जानकारी कंपनी से जुड़े मंत्रालय ने आईटी,रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया यूनिट को भेज दी है।
यही नहीं उन सभी कंपनियों को निदेशकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया है जिन्होंने साल 2013—14 और 2015—16 के दौरान वार्षिक आयकर रिटर्न फाइल नहीं की। सोचने वाली बात तो यह है कि इनमें से करीब 3000 ऐसे डायरेक्टर्स हैं जो एक साथ 20 से ज्यादा कंपनियों में डायरेक्टर थे।
मोदी सरकार ने ऐसी सभी भ्रष्ट कंपनियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया जिनसे कोई कारोबार नहीं किया जाता था बल्कि इनका इस्तेमाल कालेधन को सफेद बनाने के लिए किया जा रहा था। सरकार ने कहा है कि ऐसी सभी कंपनियां जो अपनी संपत्तियां बेच ना सकें, इनका पंजीकरण ना किया जाए।
मोदी सरकार ने ऐसे डमी डायरेक्टर्स पर लगाम लगाने के लिए एक नया नियम बनाया है जिसके तहत अब सभी डायरेक्टर्स को अपने आईडेंटिफिकेशन नंबर के लिए पैन और आधार कार्ड की बायोमेट्रिक मैचिंग करानी होगी।