पिछले छह साल की तेजी के बाद कारों के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई है। वित्तीय साल 2017-18 के अप्रैल से अक्टूबर महीने की अवधि में कार निर्यात में 4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। आप को बता दें कि कार उद्योग की कुल बिक्री में 20 फीसदी का योगदान देने वाला भारतीय कार बाजार वर्तमान वित्तीय वर्ष में कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि इस साल मारूति सुजूकी की ओर से किए जाने वाले निर्यात में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि हुंडई और निसान जैसी बड़ी कार निर्यातक कंपनियों के निर्यात में 2 अंकों की गिरावट आई। अत: निर्यात में आई इस गिरावट के चलते कार उद्योग को एक बड़ा झटका लगा है।
भारत ने वित्तीय साल 2017 में कार, वैन एवं यूटिलिटी व्हीकल के क्षेत्र में करीब 7,58,830 यात्री वाहनों का निर्यात किया, जो कि साल 2016 के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा है। इसके ठीक विपरीत वित्तीय वर्ष 2018 के पहले सात महीने में केवल 4,16,602 वाहनों का ही निर्यात किया जा सका, जबकि इसी अवधि में 15 फीसदी ज्यादा वाहनों का निर्यात किया गया था।
प्रमुख कार कंपनियों की निर्यात दर
हुंडई
देश दूसरी सबसे बड़ी कार निर्यातक कंपनी हुंडई ने अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में 18 फीसदी कम निर्यात किया। यानि हुंडई ने इस अवधि में केवल 83,076 वाहन ही निर्यात किए। वहीं घरेलू बाजार में हुंडई ने अपनी बिक्री में 4 फीसदी का इजाफा किया।
निसान
अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में कार निर्यातक कंपनी निसान के निर्यात दर में भी कमी देखने को मिली। इस अवधि में निसान केवल 35,891 वाहनों का ही निर्यात कर सकी।
फोर्ड
हुंडई, निसान की तरह फोर्ड कंपनी के निर्यात में भी अगस्त, सितंबर और अक्टूबर महीने गिरावट दर्ज की गई। यद्यपि अप्रैल-अक्टूबर के बीच फोर्ड ने 5 फीसदी ज्यादा निर्यात किया।
मारुति सुजूकी
कार निर्माता कंपनी मारूति सुजूकी घरेलू बाजार की कुल बिक्री में 93 फीसदी का आधिपत्य रखती है। ऐसे में यह कंपनी कार निर्यात को ज्यादा तवज्जों नहीं देती। फिर भी मारूति सुजूकी ने हर साल औसतन 10,000 वाहनों का निर्यात क्रम जारी रखा है। वहीं जीएम और फोक्सवैगन की ओर से भी वाहन निर्यात में इजाफा बना हुआ है।