काबुल के सरकारी परिसर में एक घंटे तक गोलिया और आत्मघाटी हमले जारी रहे, जिसमें तक़रीबन 43 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। अफगानिस्तान की राजधानी में साल 2018 का यह सबसे हिंसक हमलों में से एक था। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी आतंकी समूह ने नहीं ली है। लम्बे अंतराल से हिंसा झेल रहे नागरिकों के लिए यह रक्तपात का साल रहा और सुरक्षा बलों की अंधाधुंध बलि दी गयी थी।
सरकारी परिसर में हमला
सरकार के प्रवक्ता वहीद मज्रोह ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ़ पब्लिक वर्क की साईट पर हमले में 10 लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। प्रवेश मार्ग पर बम विस्फोट के बाद एक बंदूकधारी मध्य दोपहर में परिसर में घुस आया और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगा। सरकारी कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे और कई लोग आतंकियों से बचने के लिए खिड़कियों से कूद गए थे।
सैकड़ों कर्मचारी घंटों के लिए ईमारत में ही फंस गए थे, जब तक सुरक्षा कर्मियों ने इलाके को घेर नहीं लिया था। अधिकारीयों के मुताबिक इस मुठभेड़ में आत्मघाती हमलावर सही चार आतंकियों की मौत हो गयी थी और 350 लोगों को मुक्त कराया गया था। अधिकतर मृत और जख्मी लोग आम नागरिक है, जो 17 सालों से जारी इस आग में आहुति दे रहे हैं।
तालिबान अपनी हार को पचा नहीं पा रहा है
सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने में नाकामयाब राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार ने कहा कि जंग के मैदान की हार को छुपाने के लिए आतंकी आम नागरिकों को अपना निशाना बना रहे हैं। अफगानिस्तान के प्रधानमन्त्री अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह ने इस आतकी हमले का जिम्मेदार तालिबान को ठहराया है। उन्होंने कहा कि “हमारे लोगों के खिलाफ जितने हमले किया जायेंगे, उन्हें सरजमीं से बाहर खदेड़ने के हमारी प्रतिज्ञा अधिक मज़बूत हो जाएगी।
अमेरिका की अफगानी सरजमीं से वापसी
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अफगानिस्तान की सरजमीं से अपने सैनिकों की संख्या को आधी करने पर विचार कर रहे हैं। तालिबान के साथ संघर्ष को खत्म करने के प्रयासों को इस निर्णय से झटका लगेगा। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने पाकिस्तान और तालिबान विरोधियों को सुरक्षा जिम्मा सौंपा है। हालांकि अभी अमेरिका की तरफ से अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी से सम्बंधित कोई अधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।