अफगानिस्तान के पुल-ए-चरखी और अन्य कारावासों से 170 से अधिक तालिबानी कैदियों को रिहा कर दिया गया है और 130 अन्य कैदियों को मंगलवार को रिहा किये जाने की उम्मीद है। अफगानिस्तान में दो दशकों की जंग की समाप्ति के लिए शान्ति वार्ता जारी है।
अफगानी सरकार के सूत्रों के हवाले से टोलो न्यूज़ ने बताया कि रिहा किये गए कैदियों पर तालिबान की सदस्यता और सहयोग के आरोप थे। तालिबानी कैदियों की रिहाई की घोषणा राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मई में आयोजित भव्य शान्ति परिषद् के आखिरी दिन की थी।
अफगान ग्रैंड कॉउन्सिल का अंत 3 मई को तालिबान के साथ शान्ति के ऐलान के साथ हुआ था। राष्ट्रपति ने रमजान के पाक हफ्ते में 175 तालिबानी कैदियों को रिहा करने का वादा किया था। ईद अल फ़ित्र के मौके पर अफगानी राष्ट्रपति ने 887 कैदियों को रिहा करने का ऐलान किया था।
आलोचकों के मुताबिक, इस निर्णय का देश के बिगड़ते हालातो पर संभावित नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इस निर्णय को बगैर व्यापक परामर्श के लिया गया है। अफगानी शान्ति प्रक्रिया कूटनीतिक प्रयासों के मध्य में हैं। तालिबानी चरमपंथी अफगानी सरकार से सीधे तौर पर बातचीत के लिए इंकार करते हैं। उनके मुताबिक, अफगानी सरकार अमेरिका के हाथो की कठपुतली है।
अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय ख़लीलज़ाद तालिबान अधिकारीयों के साथ बातचीत कर रहे हैं। पत्र के जरिये अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने राज्य सचिव माइक पोम्पिओ से कहा कि “फरवरी और मई में अमेरिका के अधिकारीयों और तालिबानी सदस्यों के बीच शान्ति वार्ता में अफगानिस्तान की महिलाओं को अलग रखा गया है।”
पत्र में काँग्रेस के सांसदों में अमेरिकी राज्य विभाग से बातचीत में महिलाओं का संरक्षण करने और तालिबान के साथ चर्चा में उन्हें शामिल करने का आग्रह किया था। इसकी प्रतिक्रिया में जलमय ख़लीलज़ाद ने कहा कि “अफगानी महिलाओं के अधिकारों और उपलब्धियों को अफगानिस्तान में संरक्षित किया जायेगा।”