रिटायर्ड जस्टिस जोसेफ कुरियन ने सर्वोच्च न्यायालय में बाहरी हस्तक्षेप के आरोपों के बाद कांग्रेस ने इन आरोपों की न्यायायिक और संसदीय जांच कराये जाने की मांग की है।
गौरतलब है कि रिटायर्ड जस्टिस कुरियन ने खुलासा किया था कि इस साल 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों के साथ प्रेस कांफ्रेंस करने का कारण ये था कि उन्हें लगा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को कोई बाहर से नियंत्रित कर रहा है। हालाँकि जस्टिस जोसेफ ने उन बाहरी ताकतों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया जो न्यायपालिका में हस्तक्षेप कर रहा था।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि न्यायपालिका के उच्चतम स्तरों में हस्तक्षेप पर उनकी पार्टी ने जो आशंका जताई थी वो जस्टिस कुरियन के बयान के बाद सच साबित हुई है। उन्होंने कहा “सुप्रीम कोर्ट से कुछ दिन पहले ही रिटायर हुआ एक जज देश की सर्वोच्च न्यायपालिका पर गंभीर खतरा बता रहा है। जस्टिस कुरियन ने स्पष्ट रूप से बेच के चयन में बाहरी हस्तक्षेप, उसे रिमोट से कण्ट्रोल करना और राजनीति में घसीटने जैसे काम केंद्र सरकार ने किया है।”
अभी तक जस्टिस कुरियन के इस बयान पर भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कांग्रेस प्रवक्ता ने इन आरोपों पर प्रधानमंत्री मोदी के जवाब की मांग की है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा “अब साफ़ हो गया है कि मोदी सरकार चीफ जस्टिस को अपने कठपुतली की तरफ इस्तमाल करना चाह रही थी। आपने तो न्याय के सबसे बड़े मंदिर को भी नहीं छोड़ा . देश को जवाब दें ”
मोदी जी,
अब ये साफ़ है-
मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ‘कठपुतली’ के तौर पर इस्तेमाल कर रही थी।
आपने तो न्याय के सबसे बड़े मंदिर को भी नहीं बख़्शा।
क्या आपका अहं व तानाशाही तरीक़ा प्रजातंत्र प्रणाली को ऐसे रौंद डालेगा? देश को जबाब दें।https://t.co/b70tHLZqkq
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 3, 2018
सिंघवी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार देश के सभी संवैधानिक संस्थाओं सीबीआई, सीआईसी, लोकपाल अब सुप्रीम कोर्ट को ख़त्म कर तानाशाही लाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि “कांग्रेस इन सब आरोपों की न्यायिक और संसदीय जांच चाहती है। इसकी जांच के लिए एक जेपीसी का गठन होना चाहिए ताकि सच देश के सामने आये।”