कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सहित कई विपक्षी दलों ने मंगलवार को 70वें संविधान दिवस के मौके पर आयोजित संसद के संयुक्त सत्र का बहिष्कार करते हुए महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन किया।
संसद के केंद्रीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम में शामिल नहीं होने वालों में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), समाजवादी पार्टी (सपा), नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन और अन्य पार्टियां शामिल थीं।
टीएमसी से पश्चिम बंगाल के बशीरहाट पर पहली बार सांसद बनीं नुसरत जहां को छोड़कर तृणमूल का कोई सांसद सदन में उपस्थित नहीं था। यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के मौके पर मनाया जाता है।
कार्यक्रम में शामिल होने वाली विपक्षी पार्टियों में तेलगू देशम पार्टी (तेदेपा), बीजू जनता दल (बीजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी थीं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, सभी केंद्रीय मंत्री और अन्य गणमान्य लोगों ने संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।
भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से डिजिटल प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “हम जो भी करते हैं, हमें सबसे पहले यह सोचना है कि क्या हमारा काम संविधान की सीमाओं, गरिमा और नैतिकता के अंतर्गत है या नहीं।”
इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्य राष्ट्रीय उद्देश्य और संवैधानिक मूल्य के प्रति पूरे समर्पण भाव और प्रतिबद्धता के साथ करने चाहिए और इसलिए ‘जीवन, आजादी, समानता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना बहुत जरूरी है।’
प्रधानमंत्री ने भी नागरिकों से आग्रह किया कि वे यह सोचें कि वे संविधान में स्थापित अपने कर्तव्यों को पूरा कैसे कर सकते हैं। इन कर्तव्यों में पानी बचाना और कर अदा करना भी है।