आने वाला चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रही कांग्रेस पार्टी का हाल का प्रदर्शन बहुत ही शर्मनाक रहा है एवं उसका प्रमुख वोट बैंक भी उससे छीन गया।
पिछले कुछ समय से पार्टी में रह-रह कर नेतृत्त्व को लेकर सुर उठते रहे है। इसलिए पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंप दी।
इसी का उदाहरण हैं अविश्वास प्रस्ताव। जिसमे कांग्रेस ने राहुल गांधी को एक प्रमुख विपक्षी नेता के तौर पर पेश किया। इसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी की कार्यकारिणी समिति खुद गठित कर तस्वीर साफ कर दी की कांग्रेस गठबंधन की तरफ से वही भावी प्रधान मंत्री पद के उम्मीदवार है।
इसको लेकर कांग्रेस के अन्य साथी दलों ने एतराज़ जताया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इशारा किया कि विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं, जो प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं।
यादव ने कहा, ‘क्या उन्हें (राहुल गांधी) आधिकारिक तौर पर पीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया गया है? राहुल गांधी के साथ-साथ ममता बनर्जी (TMC), शरद पवार (NCP), मायावती (BSP)- ये सभी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। मुझे किसी के भी नाम से कोई आपत्ति नहीं है।’
इसके अलावा TMC के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने दिल्ली में कहा, ‘हम उस मुद्दे पर क्यों टिप्पणी करें जो किसी अन्य पार्टी का अंदरूनी मामला है?’।
परंतु राहुल गांधी की उम्मीदवारी को लेकर जो पार्टी राहुल गांधी के नाम पर मोहर लगा रही है वो है JD(S) जनता दल सेक्युलर।
पूर्व प्रधानमंत्री और जेडी(इस) के नेता एच. डी. देवगौड़ा ने सोमवार को दिल्ली में कहा कि “अगर राहुल गांधी संयुक्त विपक्षी मोर्चा की बतौर पीएम उम्मीदवार अगुआई करते हैं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि जेडीएस का पहले ही कर्नाटक में कांग्रेस के साथ गठबंधन है।