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    कांग्रेस शासित राज्यों में आने वाले हफ्तों में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने की संभावना है। इस दौरान राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया को रोकने का काम भी किया जाएगा। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वे प्रस्तावित प्रस्ताव के कानूनी प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं।

    एक सुझाव यह है कि इस तरह के प्रस्ताव को सरकार द्वारा नहीं, बल्कि किसी विधायक द्वारा रखा जाएगा। कांग्रेस ने अपने मुख्यमंत्रियों और गठबंधन सहयोगियों को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए सूचित किया है।

    अब तक केरल ने सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार भी पहले ही कह चुकी है कि वह नए कानून के खिलाफ है।

    सोमवार को विपक्ष की बैठक ने सभी समान विचारधारा वाले मुख्यमंत्रियों को एनपीआर प्रक्रिया को रोकने के लिए कहा है।

    विपक्षी दलों द्वारा एक प्रस्ताव में कहा गया, “सीएए, एनपीआर या एनआरसी एक पैकेज है, जो असंवैधानिक है। क्योंकि यह विशेष रूप से गरीबों, एससी/एसटी, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को लक्षित करता है। एनपीआर एनआरसी का आधार है। हम सीएए को तत्काल वापस लेने और राष्ट्रव्यापी एनआरसी/एनपीआर को रोकने की मांग करते हैं।”

    प्रस्ताव में कहा गया, “जिन सभी मुख्यमंत्रियों ने घोषणा की है कि वे एनआरसी को अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे, उन्हें एनपीआर को निलंबित करने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि यह एनआरसी की ही शुरुआत है।”

    इससे पहले कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने भी सीएए पर एक प्रस्ताव जारी किया था।

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