नरेंद्र मोदी के सीएम से पीएम बनने के सफर में गुजरात की अहम् भूमिका रही है। मोदी गुजरात को अपने विकास का उदाहरण बता कर सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हुए है। लेकिन आगामी गुजरात चुनाव में विपक्ष ने उनके अपने ही दुर्ग में घेरने के फ़िराक में है । वही मोदी अपने घर को फिर से सवारने में अपना पूरा दमख़म दिखा रहे है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मोदी के लिए 2019 का चुनाव उनके गुजरात पर ही मुक़्क़मल है। अगर गुजरात की सत्ता बीजेपी के खाते में जाती है तो यह मोदी के विकास की जीत होगी। यदि कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज करायी तो यह राहुल के राजनैतिक जीवन की शुरुआत होगी।
गुजरात को बीजेपी का दुर्ग कहा जाता है क्योकि बीजेपी वहां दो दशक से अपनी सत्ता बरकरार रखने में सक्षम होती आई है। लेकिन छठी बार बीजेपी की वर्चस्व में कमी आने के कारण प्रधानमंत्री मोदी को खुद मैदान में उतरना पड़ा है।
नरेंद्र मोदी की सियासी यात्रा गुजरात से ही शुरू हुई है। 2002 से मुख्यमंत्री बने मोदी ने गुजरात में अपनी हैट्रिक बरकरार रखी । लेकिन 2014 में बीजेपी ने मोदी को अपना चेहरा बना कर केंद्र पर भी विजय हासिल की । पूर्ण बहुमत से आई बीजेपी की सरकार राज्यों में अपनी जीत लगातार प्रदर्शित करती रही है। लेकिन गुजरात चुनाव को लेकर पार्टी काफी सक्रिय हो गई है। क्योकि पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवानी, और अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है। जिससे बीजेपी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
क्योकि 2014 के बाद गुजरात में बीजेपी के तरफ से कोई ऐसा चेहरा नहीं आया जो जनता का ध्यान अपनी ओर कर सके। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में पार्टी की दीनदशा बदल गई। जातिगत आंदोलन शुरू हो गए विकास का पहिया रुकने लगा। बीजेपी को जनता की तरफ से शब्दों के मार सहने पड़े है।
गुजरात के बदलते समीकरण को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कमान अपने हाथों में ले लिया है। मोदी लगातार गुजरात दौरे कर रहे है उन्होंने एक साल में तक़रीबन दर्जनभर से ज्यादा दौरे किये है। वह इन एक साल के दौरों पर गुजरात के लिए सरकारी खजाने का मुँह खोल दिया है। लेकिन इनसब के बावजूद भाजपा ने पाटीदारो और मुस्लिमो को मनाने के कवायदों को तेज कर दी है। क्योकि इसबार पाटीदार और मुस्लिम वोट ने बीजेपी सेअपने आप को दरकिनार कर लिया है।
लेकिन मोदी 10 नंवबर से गुजराती रंग में ढल जायेंगे क्योकि पार्टी ने उन्हें 50 से 70 रैलियां करने को राजी कर लिया है। गुजरात में कुल 33 जिले है इसका मतलब नरेंद्र मोदी एक जिले में एक से अधिक रैलियां करेंगे। पहले बीजेपी ने मोदी से 15 से 20 रैलियां करने को कहा था। लेकिन परिस्थिति को देखते हुए पार्टी ने मोदी की रैलियों में इजाफा करवाया है और उनसे रोड शो करने को भी कहा है।
प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए गुजरात एक अहम हिस्सा बन चूका है। वही विपक्ष ने बीजेपी को पूरी तरह घेरने की साजिश करने में तुली हुई है। कांग्रेस को अपने पाँव पसारने का मौका नजर आ रहा है और वह इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती। कांग्रेस” बीजेपी की केंद्र और राज्य नीतियों की आलोचना करती दिख रही है। कांग्रेस का कमान संभाले राहुल बीजेपी को गुजरात में ही घेरने का काम कर रहे है। राहुल ने बीजेपी को जातीय समीकरण और हिंदुत्व के मुद्दे पर घेराबंदी का मुहीम शुरू कर दी है। हार्दिक, अल्पेश, और मेवाणी के समर्थन को लेकर राहुल ने गुजरात चुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इन त्रिदेव ने राहुल गाँधी के विश्वास को यकीन में बदल दिया है। वही राहुल अपनी खोई हुई विरासत पाने के लिए पुरे जोर शोर से गुजरात चुनाव में लगे है।
राहुल अपनी खोई हुई छवि फिर से लाना चाहते है क्योकि जिस दुर्ग को वो जीतना चाहते है वो कभी उनके पुरखो की हुआ करती थी। इसलिए गुजरात का दुर्ग उनके लिए अहम है।