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    कांग्रेस पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समारोह के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से भेजे गए निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है। पार्टी के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने निमंत्रण को “सम्मानपूर्वक अस्वीकार” कर दिया है।

    रमेश ने कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं और धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता है, लेकिन भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि एक अर्ध-निर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है।

    बयान में कहा गया है कि 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए और लोगों की आस्था का सम्मान करते हुए कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को अस्वीकार करने का फैसला किया है।

    यह फैसला कांग्रेस पार्टी के भीतर विभाजित राय के बाद आया है। कुछ नेताओं का मानना ​​था कि पार्टी को समारोह में शामिल होना चाहिए, जबकि अन्य का मानना ​​था कि भाजपा के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए।

    कांग्रेस का यह फैसला भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा ने उम्मीद की थी कि कांग्रेस के नेता अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में शामिल होंगे, जिससे पार्टी को एकता और मजबूती का संदेश मिलेगा। हालांकि, कांग्रेस के इस फैसले से भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा है।

    यह देखना बाकी है कि कांग्रेस का यह फैसला आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी को कैसे प्रभावित करता है। कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह फैसला हिंदू मतदाताओं को नाराज कर सकता है, जबकि अन्य का मानना ​​है कि यह फैसला पार्टी की छवि को एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी के रूप में मजबूत करेगा।

    अयोध्या में राम मंदिर विवाद का इतिहास

    अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा भारत में एक ऐतिहासिक और विवादास्पद मुद्दा रहा है। 1992 में हिंदू कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिए जाने के बाद यह विवाद और बढ़ गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अयोध्या में विवादित स्थल हिंदू पक्ष को दिया जाए, जबकि मुस्लिम पक्ष को यूपी के किसी अन्य स्थान पर 5 एकड़ जमीन आवंटित की जाए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।

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