Mon. Dec 23rd, 2024
    कांगो में इबोला से गयी बच्चे की जान के बाद कर्मचारी

    थोमसन रायटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कांगों में लाखों लोग एबोला बीमारी के कारण तबाह हो गए हैं, साल 2018 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो का संकट सबसे उपेषित रहा है। इस साल के सर्वेक्षण में यह भुला दिए जाने वाला संकट है। जानकारों ने यमन, अफगानिस्तान, बुरुंडी, नाइजीरिया और पहली बार वेनेज़ुएला को इबोला से ग्रस्त बताया है।

    जानकारों ने कहा कि बामुश्किल ही कांगों के इस महा संकट को ख़बरों में सुर्खिया मिली हो, देश में रविवार को ऐतिहासिक चुनाव थे। नार्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के प्रमुख ने कहा कि इस विवाद की बर्बरता हैरतंगेज़ है, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस बेहरम संकट को भुला दिया गया है।

    उन्होंने कहा कि मैं इसी वर्ष कांगो की यात्रा पर गया था, वहां जररत और मदद के मध्य अंतर का मैं भी गवाह हूँ। आठ करोड़ 20 लाख के देश कांगों में दो लाख लोगों को मदद की जरुरत है। एजेंसी ने कांगों के हालात बिगड़े हुए बताये हैं। 21 में से छह एजेंसी ने कांगों में दुनिया का सबसे उपेक्षित संकट करार दिया था।

     इबोला

    क्रिस्चियन मानवीय सहायता कार्यक्रम प्रमुख ने बताया कि इस हिंसा के कारण लोगों को आघात पंहुचा है, बच्चे अपने माता-पिता और भाई बहन के क़त्ल के चश्मदीद है।

    मध्य अफ्रीकी गणराज्य, जिसका देश में अधिक नियंत्रण है और उसकी 60 फिसदी जनता को सहायता की आवश्यकता है। कांगों में अधिकतर आर्म्ड समूह स्कूल, अस्पताल, चर्च, मस्जिद  और मानवीय सहायता करने वाले कार्यकर्ताओं को निशाना बनाते हैं। यूनिसेफ ने कहा था कि हजारों की तादाद में बच्चे आर्म्ड समूह के कब्जे में हैं, जो यौन शोषण से पीड़ित है।

    यूनिसेफ के निदेशक ने कहा था कि कांगों के हालात निरंतर बिगड़ते जा रहे हैं और संसाधन खत्म होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि कांगों मौत के मुहाने पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार और मीडिया ने कांगों की परिस्थितियों से मुंह मोड़ लिया है, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते हैं।

    सूखा

    यमन में दुनिया में 100 साल से अधिक भयानक आकाल पड़ने का खतरा है। इसकी दो तिहाई जनता को सहायता की आवश्यकता है। वर्ल्ड विज़न चीफ मार्क स्मिथ ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता, यमन किसी की सूची में शुमार क्यों नहीं है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *