पिछले ढाई वर्षों में Covid-19 की वजह से कई लोग अपने घरों के अंदर रहें और उनकी बाहरी गतिविधियो में कमी आई, तो जायज़ है उनका सूरज के नीचे समय बीतने का समय न के बराबर हो गया होगा। बस यही कारण है की घर में कैद होने के परिणामस्वरूप बच्चों में भी विटामिन डी3 की कमी पाई गयी है, जो कुछ बच्चों के लिए महंगा साबित हो सकता है। बेंगलुरु शहर के एक अस्पताल में एक डॉक्टर द्वारा किए गए एक पायलट अध्ययन में ये पाया गया कि बच्चों में प्रगतिशील मायोपिया (अदूरदर्शिता) myopia (short-sightedness) का मूल कारण विटामिन डी 3 की कमी (Vitamin D3 deficiency) होना है और ऐसे मामलों में मामूली उछाल का संकेत दिया है।
इस वर्ष जनवरी और जुलाई के बीच किए गए अध्ययन के दौरान, जिसमें 8 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के 51 बच्चों थे – जिनमें 31 लड़के और 20 लड़कियां शामिल थीं, यह पाया गया कि सीरम विटामिन डी3 का स्तर 38 बच्चों में 20ng /ml (नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर) से कम था, डॉ सौम्या आर, सलाहकार, बाल चिकित्सा नेत्र विज्ञान और स्ट्रैबिस्मस विभाग, संकर आई हॉस्पिटल के अनुसार।
मायोपिया, स्कूल जाने वाले आयु वर्ग के बच्चों में दृष्टि हानि का एक सामान्य कारण है जो की भारत में 5.3 प्रतिशत बच्चों और 35.6 प्रतिशत वयस्कों में देखा जाता है। यह दृष्टि को कमज़ोर करने के सबसे आम कारणों में से एक है, जो बचपन में प्रकट होना शुरू हो जाता है और वर्षों में प्रगति कर सकता है और पैथोलॉजिकल मायोपिया (गंभीर दृष्टि हानि) और रेटिना डिटेचमेंट, ग्लूकोमा और अन्य जैसी जटिलताओं के उच्च जोखिम का कारण बनता है।
डॉ सौम्या आर के अनुसार, उन्होंने ज्यादातर नए मायोपिया (मायोपिया के नए मरीज) के मामले या तेजी से बढ़ने वाले मायोपिया (मायोपिया के पुराने मरीज) जो मरीज़ फॉलो-अप के लिए आए थे, उनमें विटामिन डी के स्तर में कमी देखी। “इसलिए हमने एक विस्तृत अध्ययन किया। यदि विटामिन डी3 की कमी को दूर किया जाए, तो बचपन में ही मायोपिया की प्रगति को कम किया जा सकता है। बच्चों में विटामिन डी के स्तर की निगरानी की जानी चाहिए, और माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को हर दिन कम से कम 90 मिनट सूरज की रोशनी मिले, क्योंकि विटामिन डी की कमी से दृष्टि हानि और अन्य स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो सकती हैं।”
स्रोत: मीडिया रिपोर्ट्स