पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने सोमवार को अमेरिकी न्यूज़ से कहा कि “द्विपक्षीय तौर पर कभी भी कश्मीर विवाद का हल नहीं निकलेगा और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प इस मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।” अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के बाद इमरान खान ने फॉक्स न्यूज़ से कहा कि “इसका कभी द्विपक्षीय तरीके से हल नहीं निकलेगा।”
कश्मीर का द्विपक्षीय हल नहीं
अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसी मुलाकात के दौरान दावा किया था कि भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का आग्रह किया था। ट्रम्प के दावे कोई भारत ने सिरे से ख़ारिज किया है।
इमरान खान ने कहा कि “एक ऐसा वक्त था जब पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ और भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपयी ने मुलाकात की थी और उस वक्त कश्मीर मसले का समाधान काफी करीब था लेकिन इसके बाद से हम दो अलग ध्रुवों पर हैं और मुझे सच में महसूस होता है कि भारत को वार्ता के लिए आना चाहिए। अमेरिका एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प अहम भूमिका अदा करेंगे।”
उन्होंने कहा कि “हम इस दुनिया की 1.3 अरब जनता के बारे में बात कर रहे हैं। अगर भारत अपने परमाणु हथियारों को त्याग देगा तो वे भी ऐसा ही करेंगे क्योंकि परमाणु जंग कोई विकल्प नहीं है। भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु जंग का विचार खुद की तबाही है क्योंकि दोनों देशों के बीच ढाई हज़ार मील का बॉर्डर है।”
भारत और पाक के बीच एकमात्र कश्मीर मसला विवादित
14 फ़रवरी को पाकिस्तानी समर्थित आतंकी समूह ने कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला कर दिया था। जिसमे 44 जवानो की मौत हो गयी थी। इसके प्रतिकार में भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में चरमपंथियों के शिविरों पर हवाई हमला किया था।
खान ने कहा कि “मेरे ख्याल से उपमहाद्वीप में यह आभास हुआ है कि बीते फ़रवरी में कुछ घटनाएं हुई और हम दोबारा जंग की कगार पर आ गए थे। इसलिए ऐसा आभास है और मैंने डोनाल्ड ट्रम्प से मध्यस्थता के लिए अनुरोध किया। विश्व का सबसे ताकतवर देश अमेरिका है और एकमात्र देश है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सकता है और कश्मीर मसले को सुलझा सकता है।”
खान ने दावा किया कि “भारत और पाकिस्तान के बीच एकमात्र कश्मीर मसला ही है जिसके कारण दोनों मुल्क बीते 70 वर्षो से सभ्य पड़ोसियों की तरह व्यवहार नहीं कर सके है।”