इमरान खान ने मंगलवार को कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने में असफलता को कबूल किया है। उन्होंने कहा कि “कश्मीर मामले पर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निराश है।” पाकिस्तान ने भारत सरकार के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के निर्णय का विरोध किया और हर वैश्विक मंच पर इसका रोना रोया था।
वैश्विक समुदाय से निराश पाक
इमरान खान ने यूएन के सम्मेलन के इतर प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “मैं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से निराश हूँ। अगर अगर 80 लाख यूरोपीय या यहूदी या आठ अमेरिकी नागरिको को भी कैद में रखा जाता, क्या तब भी प्रतिक्रिया ऐसी ही उदासीन होती। मोदी पर इस कर्फ्यू को हटाने का कोई दबाव नहीं है। हम दबाव बनाना जारी रखेंगे वहां 900000 सैनिक क्या कर रहे हैं? एक बार अगर कर्फ्यू हट गया तो खुदा ही जानता है वहां क्या होगा। आपको क्या लगता है कि कश्मीर के नागरिक चुपचाप अपने मुल्क पर अधिग्रहण को स्वीकार कर लेंगे।”
इमरान खान के साथ पाकिस्तानी विदेश मन्त्री शाह महमूद कुरैशी और यूएन में पाकिस्तान की स्थायी राजदूत मलिहा लोधी भी मौजूद थी। मोदी और इमरान खान दोनों यूएन के सत्र के लिए न्यूयोर्क में हैं। दोनों ने राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ अलग-अलग मुलाकात कर ली है।
कश्मीर मामले पर भारत का समर्थन का कारण इमरान खान ने भारत के आर्थिक ढाँचे को बताया है। उन्होंने कहा कि “लोह=ग भारत को 1.2 अरब लोगो के बाज़ार के रूप में देखते हैं, भारत के समर्थन का कारण कारोबार है। वह भारत ओ उभरते हुए बाज़ार के तौर पर देखते हैं।”
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री ब्रिग इजाज अहमद शाह ने कश्मीर मामले पर वैश्विक समर्थन हासिल करने में नाकामी को कबूल किया था। मंत्री ने कहा कि “लोग हम पर यकीन नहीं करते हैं, लेकिन भारत पर करते हैं।”
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान के साथ सोमवार को प्रेस कांफ्रेस के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश किया था। ट्रम्प ने कहा कि “अगर भारत और पाकिस्तान की रजामंदी हो तो हम कश्मीर मामले पर मध्यस्थता के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है।”